Instant Loan extortion racket busted: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने लोन ऐप की मदद से वसूली गैंग का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में 22 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. यह गैंग लोगों को इंस्टैंट लोन ऐप की मदद से अपना शिकार बनाता था. आज के दौर में ऐसे मोबाइल ऐप काफी पॉप्युलर हो गए हैं. ऐसे में लोग इसके झांसे में आसानी से आ जाते हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये अपराधी लोगों को फेक लोन स्कीम की मदद से अपने झांसे में लेते थे और उनकी पर्सनल डेटा का चोरी करते थे. इसी की मदद से उनसे वसूली की जाती थी. बाद में इस पैसे को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी की मदद से चीन भेज दिया जाता था.

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इस मामले में चाइनीज नागरिकों के सीधे दखल का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस के मुताबिक, यूजर्स का डेटा चीन आधारित सर्वर में अपलोड किया जाता था. यहां यूजर्स के पर्सनल डेटा के साथ खिलवाड़ किया जाता था. दिल्ली पुलिस पिछले दो महीने से इस मामले में दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई शहरों में अपने ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी.

लोन चुकाने के बाद शुरू होता था खेल

दिल्ली पुलिस को ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि लोन ऐप की मदद से ज्यादा इंट्रेस्ट रेट पर उन्हें लोन ऑफर किया जाता था और पूरा पेमेंट करने के बावजूद उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं. इसके लिए यूजर्स के पर्सनल डेटा का इस्तेमाल किया जाता था. उनके पर्सनल वीडियो और फोटो की मदद से बदनाम करने की धमकी दी जाती थी.

5000 करोड़ रुपए तक का हो सकता है स्कैम

पुलिस ने बताया कि 100 से ज्यादा मोबाइल ऐप ऐसे हैं जिनकी मदद से यह काम किया जा रहा था. उनका दावा है कि 2000-5000 करोड़ रुपए का यह फ्रॉड है. पुलिस का कहना है कि जिन यूजर्स को छोटा अमाउंट लोन के रूप में चाहिए था, उन्हें पैन कार्ड की मदद से केवाईसी की प्रक्रिया पूरी करनी होती थी. महज कुछ मिनट में लोन अमाउंट ट्रांसफर कर दिया जाता था. यह ऐप यूजर्स का पूरा डेटा चाइनीज सर्वर में अपलोड करना शुरू करता था.

पर्सनल फोटो की मदद से उगाही

बाद में यूजर्स का डेटा अलग-अलग मॉड्यूल को बेच दिया जाता था. वह मार्फ्ड पिक्चर की मदद से यूजर्स से वसूली करता था. नहीं करने पर उसे इंटरनेट पर वायरल करने की धमकी दी जाती थी. इसका संचालन कॉल सेंटर की तरफ से किया जाता था, जिसके पास यूजर्स का पूरा डेटा होता था. यह जानकारी उसे चीन से मिलती थी.

रोजाना आधार पर 1 करोड़ की वसूली

पुलिस ने कहा कि अमूमन जिन यूजर्स को 5-10 हजार की जरूरत होती थी उनसे लाख रुपए तक वसूले गए हैं. इस तरह के मामले दूसरे देशों में भी होते रहे हैं. विदेशों में ऐसे मामलों में दर्जनों सुसाइड के मामले भी दर्ज किए गए हैं. पुलिस का कहना है कि वसूली का पैसा इकट्ठा करने के लिए कई अकाउंट का इस्तेमाल किया जाता था. इन अकाउंट में रोजाना आधार पर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा होते थे.