गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat high court) ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (income tax department) से पूछा है कि क्या आश्रितों को मिलने वाली मृत्यु क्षतिपूर्ति (death compensation) को इनकम माना जा सकता है और क्या यह इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax act) के तहत टैक्स के योग्य है? पीटीआई की खबर के मुताबिक, कोर्ट 1986 में पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज की फ्लाइट के अपहरण के दौरान मारी गई एक महिला के पति की तरफ से दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी.

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सहानुभूति के पक्ष पर नहीं बल्कि नियम क्या कहते हैं

खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति निशा ठाकुर की खंडपीठ ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से सवाल किया कि क्या मुआवजे के रूप में मिली राशि को कानून के तहत कर योग्य इनकम कहा जा सकता है. अदालत (Gujarat high court) ने पूछा, आपका मुख्य तर्क यह है कि मुआवजा इनकम नहीं है और इस पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता. हम सहानुभूति के पक्ष पर नहीं जाएंगे, लेकिन यह विचार योग्य है कि मुआवजे के रूप में जो कुछ मिला है, क्या हम उसे टैक्स के योग्य इनकम कह सकते हैं?

क्या है मामला

बता दें, इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. याचिकाकर्ता कल्पेश दलाल ने 20 करोड़ रुपये की मुआवजे पर इनकम टैक्स पेमेंट के लिए आयकर विभाग से नोटिस मिलने पर अदालत में अपील की थी. दलाल की पत्नी तृप्ति 1986 में मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही उस फ्लाइट में सवार थीं, जिसे अपहरणकर्ताओं ने कराची में उतरने को मजबूर किया.

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डिपार्टमेंट ने मामला दोबारा खोल दिया

न्यूयॉर्क की एक अदालत ने 2013-14 और 2014-15 के बीच दलाल को 20 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, लेकिन उन्होंने उसे आकलन वर्ष 2014-15 के लिए दाखिल कर रिटर्न में इनकम के रूप में नहीं दिखाया. आयकर विभाग ने पहली बार 2014 में याचिकाकर्ता को समन जारी किया था और पिछले साल इस मामले को दोबारा खोल दिया गया, जिसके बाद दलाल ने हाई कोर्ट का रुख किया.