देश के जाने-माने कानूनविद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का बुधवार को निधन हो गया. वे 95 वर्ष के थे. भारत के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (Former Additional Solicitor General of India) ने दिल्‍ली में अपने आवास पर देर रात करीब 1 बजे अंतिम सांस ली. बता दें कि नरीमन को वकील के तौर पर करीब 70 साल का अनुभव रहा है. उन्‍होंने प्रसिद्ध राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (National Judicial Appointments Commission) के फैसले सहित कई ऐतिहासिक मामलों पर बहस की. 

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फली एस नरीमन एक पारसी फैमिली से ताल्‍लुक रखते थे. उन्‍होंने 1950 में बॉम्बे हाईकोर्ट से वकालत शुरू की थी. 1961 में वे सीनियर एडवोकेट नामित किए गए. इसके बाद उन्‍होंने करीब 70 साल तक वकालत की. बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद नरीमन ने 1972 से भारत की सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. वे मई 1972 में भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए थे.

पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्‍मानित

अपने कानूनी करियर में नरीमन ने कई ऐतिहासिक मामलों में पैरवी की. इनमें भोपाल गैस त्रासदी, ‘टीएमए पाई फाउंडेशन’ और जयललिता का आय से अधिक संपत्ति जैसे मामले भी शामिल हैं. इसके अलावा वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के चर्चित मामले से भी जुड़े रहे. इस आयोग को उच्चतम न्यायालय ने भंग कर दिया था. नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. भारतीय न्यायपालिका के 'भीष्म पितामह' कहे जाने वाले नरीमन ने 'बिफोर द मेमोरी फेड्स', 'द स्टेट ऑफ द नेशन', 'इंडियाज लीगल सिस्टम: कैन इट बी सेव्ड?' और 'गॉड सेव द ऑनर्बेल सुप्रीम कोर्ट' जैसी किताबें भी लिखीं.

अभिषेक मनु सिंघवी ने दी श्रद्धांजलि

फली नरीमन के निधन की खबर सुनकर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा ' फली नरीमन का निधन एक युग का अंत है. वो एक लीजेंड हैं जो हमेशा कानून और सार्वजनिक तौर पर लोगों के दिल और दिमाग में रहेंगे. तमाम उपलब्धियों के बावजूद वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे. यह गुण उनके प्रतिभाशाली बेटे के पास भी है.'