Delhi Traffic Advisory: संत रविदास जयंती के मौके पर ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. दरअसल, इस मौके पर संत रविदास की शोभायात्रा निकाली जाएगी. इस यात्रा के दौरान कई जगह पर जाम लग सकता है. इसको देखते हुए राजधानी दिल्ली के कई मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्ट करने का फैसला यातायात पुलिस ने किया है. दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट शहर के मुख्य रास्तों को डायवर्ट करने की सूचना दी है.

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इस वजह से जारी की गई एडवाइजरी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि संत रविदास जयंती के कारण शहर में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक शोभा यात्रा निकाली जाएगी. यह शोभा यात्रा लाल किले से करोल बाग तक निकाली जाएगी. इसी के चलते करोल बाग से लाल किले की ओर जाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. आप घर से निकलने से पहले एक बार रूट चेक कर लें.  किसी भी असुविधा से बचने के लिए निर्देशों का पालन करें. जानें कौन-कौन से रास्ते रहेंगे प्रभावित

  • नेताजी सुभाष मार्ग (चट्टा रेल चौक)
  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग
  • चर्च मिशन रोड
  • खारी बावली रोड
  • कुतुब रोड
  • पहाड़ी धीरज रोड
  • पूर्वी पार्क रोड
  • आर्य समाज रोड
  • देशबंधु गुप्ता रोड
  • रानी झांसी रोड

डायवर्जन प्वाइंट्स

  • टी-प्वाइंट सुभाष मार्ग
  • ईदगाह रोड
  • छत्ता रेल चौक
  • टी प्वाइंट रोहतक रोड (मुख्‍य रानी झांसी रोड)
  • फतेहपुरी टी-प्वाइंट (श्यामा प्रसाद मुखर्जी मार्ग/चर्च मिशन रोड)
  • झंडेवालान चौक
  • देशबंधु गुप्ता रोड लाहौरी गेट चौक
  • कालका दास चौक
  • लाहौरी गेट चौक
  • बारा टूटी चौक
  • सदर थाना रोड
  • अग्रवाल चौक

रविदास जयंती क्यों मनाया जाता है? वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति थे. रविदास जी ने हमेशा ही भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता का प्रचार प्रसार किया. इस दिन, उनके अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. वे अपने जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके अपने गुरु रविदास जी से प्रेरणा लेते हैं. उनके भक्त उनके जन्म स्थान पर जाते हैं और रविदास जयंती पर उनका जन्मदिन मनाते हैं. संत रविदास जयंती हर साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है. इस साल रविदास जी की जयंती 5 फरवरी को मनाई जा रही है. रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर स्थित गोवर्धनपुर गांव में 1376 ईस्वी हुआ था. पंजाब में उन्हें रविदास के नाम से जाना जाता है. जबकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में उन्हें रैदास के नाम से जाना जाता है.