दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बिजली आपूर्ति व वितरण को आवश्यक सेवा बताते हुए राष्ट्रीय राजधानी में बिजली कर्मचारियों की प्रस्तावित हड़ताल से पहले कदम उठाते हुए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है. बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने अपनी मांगों को लेकर आठ या नौ जनवरी को एक दिवसीय हड़ताल की योजना बनाई थी. उनकी सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल में एक दिन शामिल होने की योजना थी.

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सरकार ने जारी की अधिसूचना

दिल्ली सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों (बीएसईएस, बीएसईएस यमुना और टाटा पॉवर) की हड़ताल पर छह महीने की अवधि के लिए रोक लगाई जाती है. अधिकारियों के अनुसार, सभी तीन बिजली वितरण कंपनियों ने दिल्ली सरकार के बिजली विभाग को पत्र लिखकर उनसे प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल के मद्देनजर एस्मा लागू करने की मांग की थी.

बिजली कंपनियों ने कहा

बिजली वितरण कंपनियों ने पत्र में कहा, "यह जरूरी है कि एस्मा के तहत आवश्यक प्रावधान आठ जनवरी की हड़ताल से पहले लागू किया जाए, क्योंकि हड़ताल से आवश्यक सेवा पूरी तरह ठप हो सकती है और दिल्ली के सभी निवासियों का जीवन प्रभावित हो सकता है. "

कर्मचारियों ने की थी हड़ताल की घोषणा

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स (एनसीसीओईईई) ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2018 एवं केंद्र व राज्य स्तर पर चल रही निजीकरण की कार्यवाही के विरोध तथा पुरानी पेंशन की मांग को ले कर देश भर में हड़ताल करने का निर्णय लिया है. देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आगामी 8 व 9 जनवरी को दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेंगे. हड़ताल का निर्णय देश भर की सभी ट्रेड यूनियनों की संयुक्त बैठक में लिया गया था और इसकी नोटिस भी केंद्र सरकार व सभी राज्य सरकारों को भेज दी गयी है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व इन्जीनियर 08 व 09 जनवरी को हड़ताल करेंगे.

संघर्ष समिति ने किया निर्णय

संघर्ष समिति ने यह भी एलान किया है कि यदि इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2018 को संसद के शीतकालीन सत्र में पहले पारित कराने की कोशिश हुई तो बिना और कोई नोटिस दिए देश भर के बिजली कर्मचारी व् इंजीनियर उसी समय लाइटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे. संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रुपये पहले ही फंसा हुआ है फिर भी निजी घरानों पर कोई कठोर कार्यवाही करने के बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिये बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैय्यारी कर रही है.