भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव  मनाया जाता है. दही हांडी को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण बचपन में पड़ोसियों के घर की हांडी तोड़कर दही, दूध और मक्कखन खा जाते थे. इसी तरह दही हांडी के उत्सव में मटकी फोड़ने की परंपरा है. कैसे शुरू हुई दही हांडी पर्व की परंपरा

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भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की कहानी काफी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि वे बचपन में काफी शरारती थे. उनकी मां उनसे काफी परेशान रहती थी. वे अपने दोस्तों के साथ आस- पड़ोस के घरों से हांडी तोड़कर माखन, दूध और दही चुराकर खा जाया करते थे. आसपास की महिलाएं शिकायत लेकर आती जिससे उनकी मां काफी परेशान रहने लगी थी. श्रीकृष्ण के दोस्तों से मक्खन और दही छिपाने के लिए महिलाएं मक्खन और दही से भरे बर्तन को ऊंचाई पर लटकाने लगी. लेकिन इसके बाद भी श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन की हांडी तोड़कर खा जाते थे. तभी से दही हांडी का पर्व मनाया जाने लगा. मथुरा में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी?

मथुरा वृन्दावन और बांके बिहारी के मंदिर में जन्माष्टमी का महोत्सव 19 अगस्त को रखा गया है. पंचांग के मुताबिक, अष्टमी तिथि 18 अगस्त को शाम 09 बजकर 21 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 19 अगस्त को रात के 10 बजकर 59 मिनट पर खत्म होगी.