CNG और PNG की कम हो सकती है कीमतें, नेचुरल गैस के लिए प्राइस कैप की सिफारिश कर सकती है पारिख कमिटी
CNG-PNG Price: सरकार द्वारा किरीट पारेख (Kirit Parikh) की अगुवाई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति इसकी सिफारिश कर सकती है. सीएनजी (CNG) और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस पीएनजी (PNG) की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा.
CNG-PNG Price: CNG और PNG ग्राहकों के लिए बड़ी खबर है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली नेचुरल गैस के लिए प्राइस कैप तय की जा सकती है. सरकार द्वारा किरीट पारेख (Kirit Parikh) की अगुवाई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति इसकी सिफारिश कर सकती है. सीएनजी (CNG) और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस पीएनजी (PNG) की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा. हालांकि, मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए प्राइसिंग फॉर्मूले को नहीं बदला जाएगा.
अधिकारियों ने बताया कि किरीट पारेख समिति को भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार-उन्मुख, पारदर्शी और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का काम सौंपा गया था. समिति को यह भी तय करना था कि अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस मिले. अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए समिति दो अलग-अलग प्राइसिंग व्यवस्था का सुझाव दे सकती है.
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ONGC-OIL की गैस पर लग सकता है प्राइस कैप
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए प्राइस कैप तय करने की सिफारिश की जा सकती है. इन क्षेत्रों में लंबे समय से लागत वसूली जा चुकी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं गिरेंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था. या मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी.
गैस के लिए एक अलग फॉर्मूले का सुझाव
अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा समिति मुश्किल क्षेत्रों से गैस के लिए एक अलग फॉर्मूले का सुझाव दे सकती है. कठिन क्षेत्रों में गहरे समुद्र के क्षेत्र या उच्च दबाव, उच्च तापमान वाले क्षेत्र शामिल हैं. इनके लिए उच्च दरों पर भुगतान के मौजूदा फॉर्मूले को बनाए रखने की संभावना है.
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उन्होंने कहा कि इस तरह खोज और उत्पादन (E&P) में निवेश की चिंताओं को भी दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बाजार आधारित मूल्य निर्धारण से नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और वैश्विक कंपनियां यहां आएंगी.
मुश्किल क्षेत्रों के लिए दरें 1 अक्टूबर से 12.46 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (प्रति इकाई) हैं. योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारिख की अध्यक्षता वाली समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है. अधिकारियों ने कहा कि इसे अगले कुछ दिनों में सरकार को सौंप दिया जाएगा.
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(भाषा इनपुट के साथ)