केंद्र सरकार जल्द ही निर्माण कार्यों के लिए ईंट भट्टों में तैयार होने वाली ईंटों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा सकती है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए यह कदम उठाया जा सकता है. यूनियन हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस संबंध में CPWD को निर्देश दिए गए हैं कि वह इस बात का अध्ययन करे की भट्टों में बनने वाली ईंट पर प्रतिबंध लगाने पर क्या असर होगा. इस संबंध ने CPWD ने देश भर में मौजूद अपने अधिकारियों से 11 दिसम्बर तक रिपोर्ट भेजने को कहा है. गौरतलब है कि देश में ईंट बनाने के कारोबार में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है. ऐसे में ईंट भट्टों पर प्रतिबंध लगने से कुछ समय के लिए काफी लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा.

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CPWD को दिए गए निर्देश

CPWD देश की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन एजेंसी है. ये संस्था ज्यादातर केंद्र सरकार की व देश भर मौजूद सराकरी स्वायत संस्थाओं के लिए इमारत बनाने का काम करती है. शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान समय में कई ऐसी तकनीकें मौजूद हैं जिनके जरिए पर्यावरण को ध्यान में रखते वेस्ट मैटेरियल से जरिए ईंटें बनाई जा सकती हैं. इसको ध्यान में रखते हुए मंत्रालय की ओर से CPWD को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि भट्टों में बनने वाली ईंटों पर प्रतिबंध लगाने पर क्या असर होगा.

पारंपरिक तरीके से ईंट बनाने में होता है प्रदूषण

पारंपरिक तरीके से मिट्टी के ईंटों को भट्टों में पका कर बनाने में काफी मात्रा में धुआं निकालता है. इससे वायु प्रदूषण होता है. ईंटों को पकाने के लिए बड़े पैमाने पर कोयला जलाया जाता है. वहीं अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए बनाई गई कमेटी EPCA की ओर से एनसीआर से जुड़े राज्यों में ईंटों को बनाने के लिए zig-zag तकनीक का प्रयोग करने की बात कही है. इस तकनीक को पर्यावरण मंत्रालय से भी भी स्वकृति मिली हुई है. इस तकनीक से ईंट बनाने पर पारंपरिक तरीके से ईंट बनाने की तुलना में 80 फीसदी तक कम प्रदूषण होता है.