किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार नित-नए कार्यक्रम चला रही है. नकदी फसलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस कड़ी में अब मध्य प्रदेश में काजू की खेती की पहल की गई है.

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मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल बैतूल जिले में प्रशासन ने काजू की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है. राज्य का यह पहला ऐसा जिला है, जहां काजू की व्यावसायिक खेती शुरू की गई है. जिले की उद्यान उप संचालक डॉ. आशा उपवंशी-वासेवार ने बताया कि बैतूल जिले के लिए काजू काफी फायदेमंद फसल है. इसे काली भारी मिट्टी और ऐसी मिट्टी जहां जल का भराव होता है, को छोड़कर सभी तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है. वैसे तो रोपण के दूसरे साल से उत्पादन प्राप्त होता है, मगर व्यावसायिक उत्पादन में छह-सात साल लग जाते हैं. प्रति पेड़ औसतन 15-20 किलोग्राम उत्पादन होता है.

उन्होंने बताया कि बैतूल प्रदेश का पहला जिला है, जहां वर्ष 2018-19 से काजू की व्यावसायिक खेती प्रारंभ की गई है. इस वर्ष बैतूल में एक हजार हेक्टेयर में किसानों के खेतों में काजू के बगीचे लगाए जाने का कार्यक्रम है. कच्चा काजू 100-125 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बिक जाता है. काजू प्रसंस्करण के लिए बैतूल जिले के घोडाडोंगरी में छोटी प्रोसेसिंग यूनिट तैयार की गई है.

डॉ. आशा ने बताया कि जिले में काजू की व्यावसायिक खेती के लिए केरल के कोच्चि स्थित राष्ट्रीय काजू एवं कोको विकास निदेशालय द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है. क्षेत्र में निदेशालय के वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया गया है. उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग जिले में काजू की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

बता दें कि भारत में काजू सबसे ज्यादा केरल में पैदा होता है. केरल के बाद कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में बडे़ पैमाने पर काजू की खेती होती है. 

(इनपुट आईएएनएस से)