दिल्ली सरकार ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई. इस मौके पर बैठक में एक्सपेंडीचर फाइनेंस कमेटी ने तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल में हाई रेज्यूलूशन कैमरे लगाने की अनुमति प्रदान की. इसके लिए सरकार की ओर से लगभग 120 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

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इन वजहों से लिया गया यह निर्णय

इस बात को सुनियचत किया जा सके की किसी भी अपराधी को किसी तरह की वीआईपी सुविधाएं न मिल रही हों. साथ ही ऐसी किसी भी शिकायत पर उसकी सही तरीके से जांच की जा सके.

कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी यह निर्णय लिया गया है. जेल में आए दिन अपराधी एक दूसरे से भिड जाते हैं और एक दूसरे को नुकसान पहुंचा देते हैं. जेल में कई बार बंद कैदियों की हत्या का भी प्रयास हुआ है.

जेल की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने और मानवाधिकार कानूनों को ध्यान में रखते हुए भी दिल्ली सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है.

देश में दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जहां इतने बड़े पैमान पर जेलों में कैमरे लगाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है.

पीडब्लूडी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट

जेलों में हाई रेज्यूलूशन कैमरे लगाने को ले कर पीडब्लूडी विभाग पहले सही डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर चुका है. विभाग ने तीनों जेलों का सर्वे कर ये रिपोर्ट तैयार की है. ये सभी सर्वे जेन के अधिकारियों के साथ मिल कर किए गए हैं. इस सीसीटीवी कैमरे के प्रोजेक्ट के पूरा होने पर तीनों जेलों का ज्यादातर हिस्सा सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा.

ये हैं इस प्रोजेक्ट के फीचर्स

  • तीन तरह के कैमरों का प्रयोग जेल की सुरक्षा के लिए किया जाएगा. इसमें 360 डिग्री के एंगल पर घूमने वाले कैमरे भी शामिल हैं.
  • इन कैमरों का डेटा रिकॉर्ड करने के लिए 06 हार्ड डिस्क प्रयोग की जाएंगी.
  • सभी कैमरे बुलेट विडियो ऐनलिसिस कर सकेंगे
  • कैमरों को जोड़ने के लिए फाइबर केबल का प्रयोग होगा
  • इन कैमरों का महीने के 30 दिन बैकअप लिया जाएगा.
  • इन कैमरों पर निगरानी का एक मेन कंट्रोल रूम बनेगा जो हर जेल में बना होगा.
  • जो भी संस्था इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी उसकी जिम्मेदारी पांच साल तक कैमरों की देखरेख करने की भी होगी.