Bamboo Crash Barrier: भारत ने दुनिया के पहले 200 मीटर लंबे बैंबू क्रैश बैरियर (Bamboo Crash Barrier) बनाने के साथ आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) की दिशा में एक असाधारण उपलब्धि हासिल की गई है. इसे महाराष्ट्र के विदर्भ के वाणी-वरोरा हाईवे पर लगाया गया है. इस बांस के क्रैश बैरियर को बाहू बल्ली (Bahu Balli) नाम दिया गया है.

बैम्बू क्रैश बैरियर Bahu Balli 

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इसे इंदौर के पीथमपुर के नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATRAX) जैसे विभिन्न सरकारी संस्थानों में कड़ी टेस्टिंग की गई है. रुड़की में आयोजित केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) में संचालित फायर रेटिंग टेस्ट के दौरान इसे क्लास 1 का दर्जा दिया गया.

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बैम्बू क्रैश बैरियर की रिसाइकिल वैल्यू ज्यादा

Bahu Balli बैंबू क्रैश बैरियर को इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा भी मान्यता प्रदान किया गया है. बैम्बू बैरियर की रिसाइकलिंग वैल्यू 50-70% है जबकि स्टील बैरियर का 30-50% है.

बांस की इस प्रजाति से बना Bahu Balli

इस बैरियर को बनाने में प्रयोग की जाने वाली बांस की प्रजाति बम्बुसा बालकोआ (Bambusa Balcoa) है, जिसे क्रेओसोट तेल से उपचारित किया गया है और रिसाइकिल्ड हाई-डेंसिटी पॉली एथिलीन (HDPE) का लेप लगाया गया है. यह उपलब्धि बांस क्षेत्र और समग्र रूप से भारत के लिए उल्लेखनीय है, क्योंकि यह क्रैश बैरियर स्टील का एक आदर्श विकल्प प्रदान करता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं और उनके परिणामों पर ध्यान केन्द्रित करता है. इसके अलावा, यह अपने आप में एक ग्रामीण और एग्रीकल्चर-फ्रेंडली इंडस्ट्री है जो इसे और भी महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रदान करता है.

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