एक तरफ सरकार जहां ज्यादातर सरकारी सेवाओं में आधार को अनिवार्य करने पर जोर दे रही है वहीं दूसरी ओर आधार कार्ड में मौजूद लोगों के व्यक्तिगत डेटा क चोरी होने की खबर आए दिन आ रही है. डिजिटल सुरक्षा कंपनी गेमाल्टो की एक रिपोर्ट में दावा है कि वर्ष 2018 की पहली छमाही (जनवरी से जून) में आधार सेंधमारी के मामलों में एक अरब रिकॉर्ड चोरी हुए. इनमें नाम, पता या अन्य व्यक्तिगत सूचनाएं शामिल हैं. इसी तरह कुछ दिन पहले बाजार में एक ऐसा सॉफ्टवेयर उपलब्ध होने का दावा किया गया था जो आधार के बॉयोमेट्रिक और पर्सनल डेटा को सुरक्षित रखने वाले सिक्योरिटी फीचर को भेदने में सक्षम है. मात्र 2500 रुपये में इस सॉफ्टवेयर के उपलब्ध होने का दावा किया गया था. हालांकियूनीक आडिडेंटिफिकेशन एथारिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने इस तरह के दावों को खारिज किया है.

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500 रुपये में बिक रहा भारतीयों का डाटा

डिजिटल सुरक्षा कंपनी गेमाल्टो की एक रिपोर्ट में दावा है कि सोशल मीडिया मंच प्लेटफार्म पर दो अरब प्रयोगकर्ताओं के डाटा की सेंधमारी हुई. इसके बाद सबसे अधिक आधार कार्ड का डेटा चोरी हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार एक गुमनाम सेवा किसी को भी 500 रुपये खर्च कर 1.2 अरब भारतीय नागरिकों की व्यक्तिगत सूचनाओं तक पहुंच उपलब्ध करा रही थी. वहीं कुछ दिन पहले आई खबर में साफ्टवेयर के जरिए दुनिया में कहीं भी बैठे हैकर द्वारा आधार के सिक्योरिटी पैच को भेद कर बेहद आसानी से आधार के नम्बर में परिवर्तन कर नया आधार नम्बर बनाने का दावा किया गया था.

भारत से बड़े पैमाने पर चोरी हुआ डेटा

गेमाल्टो की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर सेंधमारी के कुल मामलों में 57 प्रतिशत का शिकार अमेरिका रहा है. वहीं  वैश्विक स्तर पर हुए ऐसे मामलों में 37 प्रतिशत का शिकार भारत बना है. ताजा आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 945 सेंधमारी मामलों में 4.5 अरब डेटा चोरी हुए. इनमें से भारत में एक अरब डाटा चोरी के मामले सामने आए.