दिवाला कानून के अबतक 12,000 मामले दर्ज, निपटारा भी उतनी तेजी से हो रहा
Bankruptcy: मामलों का निपटान जल्द हो रहा है. मामले लंबित नहीं हैं. इस संहिता के तहत मामलों को न्यायाधिकरण की मंजूरी के बाद ही निपटान के लिये लाया जा सकता है जिसकी देश के विभिन्न हिस्सों में पीठ हैं.
कुछ एनसीएलटी में जितने मामले दायर किए गए हैं उतनी ही संख्या में उनका निपटान भी किया गया है.
कुछ एनसीएलटी में जितने मामले दायर किए गए हैं उतनी ही संख्या में उनका निपटान भी किया गया है.
दिवाला कानून के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के गठन के बाद से इसके तहत 12,000 मामले दायर किए गए है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि एनसीएलटी दिवाला से संबंधित मामलों का निपटान तेजी से कर रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत मामले को लाना आखिरी उपाय होना चाहिये.
मामलों का निपटान जल्द हो रहा
कुछ एनसीएलटी में जितने मामले दायर किए गए हैं उतनी ही संख्या में उनका निपटान भी किया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि इनमें मामलों का निपटान जल्द हो रहा है. मामले लंबित नहीं हैं. इस संहिता के तहत मामलों को न्यायाधिकरण की मंजूरी के बाद ही निपटान के लिये लाया जा सकता है जिसकी देश के विभिन्न हिस्सों में पीठ हैं.
व्यक्तिगत दिवाला मामलों पर हो सावधानी
श्रीनिवास ने कहा कि व्यक्तिगत दिवाला मामलों पर सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत दिवाला मामलों का मुद्दा एक महत्वपूर्ण आयाम है जिसका जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. श्रीनिवास ने कहा, ‘‘आज हमारा गैर-खाद्य कर्ज का बकाया 77 लाख करोड़ रुपये है. इसमें उद्योग का हिस्सा 26 लाख करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र का हिस्सा 21 लाख करोड़ रुपये है. दोनों को मिलाकर यह करीब 48 लाख करोड़ रुपये बैठता है. यह कुल गैर-खाद्य बकाया का 70 प्रतिशत है. शेष 30 प्रतिशत राशि बचती है जिसका अब हमें समाधान करना चाहिये.’’
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व्यक्तिगत दिवाला के दो मार्ग
व्यक्तिगत दिवाला के दो मार्ग हैं- एक, दिवाला प्रक्रिया आपनाना जिसके बाद ऋण शोधन प्रक्रिया होती है और दूसरी, नए सिरे से शुरूआत करना. उन्होंने कहा कि नए सिरे से शुरुआत या ऋण माफी पर विचार आमदनी तथा आय के स्तर के कुछ मानदंडों के आधार पर होनी चाहिए. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीनिवास ने कहा कि संहिता के लागू होने तथा एनसीएलटी की स्थापना के बाद 12,000 मामले दायर हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें 4,500 मामलों का निपटारा समाधान प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही हो गया. इनमें निपटान राशि करीब दो लाख करोड़ रुपये रही है. 1,500 मामलों को प्रक्रिया के तहत स्वीकार किया गया जबकि 6,000 मामले पंक्ति में हैं.’’ फंसे कर्ज के मामले में दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समयबद्ध समाधान का प्रावधान किया गया है.
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07:44 PM IST