Dairy Industry: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन चुका है और अगर उसे अपने सरप्लस दूध के लिए वैश्विक बाजार में हिस्सा हासिल करना है, तो एक्सपोर्ट की नजर से प्रतिस्पर्धी बनना होगा. नीति आयोग (Niti Aayog) के सदस्य रमेश चंद ने यह बात कही है. चंद ने डेयरी इंडस्ट्री पर अपने वर्किंग पेपर में कहा कि भारत का डेयरी इंडस्ट्री किसी भी ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का विरोध करता रहा है, जिसमें डेयरी प्रोडक्ट्स में कारोबार का आयात शामिल हो. 

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हालांकि, अगर हमें भविष्य में अपने दूध के सरप्लस उत्पादन का निपटान करना है, तो अपनी निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ानी होगी. उन्होंने लिखा है कि निर्यात प्रतिस्पर्धी होने के लिए आयात की तुलना में अधिक ऊंची प्रतिस्पर्धा की जरूरत होती है.

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मिल्क प्रोडक्ट का प्रोसेसिंग कर करें एक्सपोर्ट

चंद के अनुसार, कोई देश तबतक निर्यात की नजर से प्रतिस्पर्धी नहीं हो सकता है जबतक वह आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ है और यह मुद्दा भारत में डेयरी इंडस्ट्री के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि डेयरी इंडस्ट्री को अपने कुछ घरेलू उत्पादन को विदेशी बाजारों में भेजने का रास्ता निकालना होगा. उन्होंने साथ ही सुझाव दिया कि सिर्फ लिक्विड दूध को भेजने के बजाय हमें अलग-अलग उत्पादों का प्रोसेसिंग कर एक्सपोर्ट करना चाहिए.

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अगले 25 साल के लिए बनाए डेयरी इंडस्ट्री का लक्ष्य

चंद ने कहा, इसके लिए वैल्यू चेन सहित डेयरी इंडस्ट्री में निवेश में कुछ बदलाव की जरूरत होगी. अगर भारत दूध की क्वालिटी और पशुधन स्वास्थ्य के मुद्दे को हल कर पाता है, तो वह कुछ बड़े बाजारों में अपनी पैठ बना सकता है. चंद ने सुझाव दिया कि अगले 25 साल के लिए डेयरी इंडस्ट्री का लक्ष्य और दृष्टिकोण भारत को डेयरी प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा निर्यातक बनाने का होना चाहिए.

उन्होंने कहा, यह एक लंबा सिलसिला होगा, लेकिन डेयरी सेक्टर की पिछली उपलब्धियों को देखते हुए चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद इसे हासिल किया जा सकता है. देश के कुल घरेलू उत्पादन का आधा प्रतिशत से भी कम दूध का निर्यात होता है. 2021 में विश्व का डेयरी निर्यात 63 अरब डॉलर था. वहीं भारत का निर्यात सिर्फ 39.2 करोड़ डॉलर था.

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सालाना 5.3% की दर से बढ़ रहा दूध उत्पादन

चंद ने बताया कि हालिया दूध उत्पादन (Milk Production) के आंकड़ों से पता चलता है कि यह सालाना 5.3% की दर से बढ़ रहा है. यहां यह उल्लेखनीय है कि 2005 के बाद से दूध उत्पादन की ग्रोथ रेट ऊंची रही है. इसकी वजह यह है कि उस समय के बाद से विदेशी नस्लों के बजाय स्वदेशी नस्लों पर जोर दिया जाने लगा.

भारत में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन अब निर्धारित आहार स्तर से अधिक हो गया है. एनआईएन-आईसीएमआर द्वारा सुझाया गया प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध का उत्पादन 377 ग्राम है. उन्होंने लिखा है कि देश के डेयरी क्षेत्र ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ (Operation Flood) की शुरुआत के बाद से काफी तेजी से प्रगति की है. इससे पहले देश का दूध उत्पादन आबादी के अनुपात में भी नहीं बढ़ पा रहा था.

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