Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इलेक्टोरल बॉन्ड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा. इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सरकार विकल्प तलाश रही है. चुनावों में कालाधन का इस्तेमाल न हो इसी मकसद से सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर आई थी.

Electoral Bond: काले धन का बढ़ेगा बोलबाला, पहचान जारी करना विश्वास तोड़ने के बराबर

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सूत्रों के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड की सुविधा बंद होने से आगामी चुनाव में काला धन का बोलबाला बढ़ेगा. इसके अलावा बैंकिंग एक्ट के तहत ग्राहक की पहचान जाहिर करना ग्राहकों के विश्वास को तोड़ने के बराबर होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बैंक को पहचान जाहिर करनी पड़ेगी. हालांकि, तुरंत डोनर की लिस्ट पब्लिश करना आसान नहीं होगा. सरकार के मुताबिक इलेक्टोरल रिफॉर्म की दिशा में इलेक्टोरल बांड एक सकारात्मक कदम है.

Electoral Bond: संविधान के 19 (1) का उल्लंघन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया नहीं जारी करेगा चुनाव बॉन्ड

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि चुनावी बॉण्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक है. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉण्ड जारी करना बंद कर देगा. उच्चतम न्यायालय का कहना है कि एसबीआई शीर्ष अदालत के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा. विवरण में प्रत्येक चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल होगा.

Electoral Bond: चुनाव आयोग को जारी करनी होगी लिस्ट, इन चुनावी बॉन्ड को करना होगा वापस 

उच्चतम न्यायालय का कहना है कि एसबीआई को छह मार्च तक ये जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया. वहीं, चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी प्रकाशित करेगा. ऐसे से चुनावी बॉण्ड जिनकी वैधता 15 दिन के लिए है, लेकिन जिन्हें राजनीतिक दल ने अभी तक भुनाया नहीं है, उन्हें जारीकर्ता बैंक को वापस कर दिया जाएगा.