Jaypee Infratech case: दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक की पूर्व प्रवर्तक जयप्रकाश एसोसिएट्स ने कहा है कि उसके प्रस्ताव पर कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को विचार करना चाहिए. समिति इस सप्ताह कंपनी के लिये दो मौजूदा समाधान योजनाओं पर निर्णय करने वाली है. इसकी लम्बी खिंच रही दिवाला समाधान प्रक्रिया में सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी और सुरक्षा समूह जेपी इंफ्राटेक लि. (जेआईएल) के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल हैं. यह मामला अगस्त 2017 में एनसीएलटी में गया था. 

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जयप्रकाश एसोसिएट्स लि. (जेएएल) के चेयरमैन मनोज गौड़ ने जेआईएल के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन को लिखे पत्र में उनसे कंपनी की उस पेशकश पर विचार करने को कहा है जिसे 2019 में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था. पत्र की प्रति ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को भी भेजी गयी है. गौड़ ने कहा कि जेआईएल के पास देनदारी से अधिक संपत्ति है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर रियल्टी कंपनी को ‘औने-पौने दाम’ पर बेचा जाता है तो कर्जदाता ऋण गारंटी देने वालों पर अपने अधिकार का प्रयोग करने के हकदार नहीं होंगे. 

कर्जदाताओं की समिति और मकान खरीदारों की इस सप्ताह बैठक होनी है जिसमें इस बात पर विचार किया जाएगा कि क्या एनबीसीसी और सुरक्षा समूह को जेआईएल के लिये संशोधित और अंतिम बोलियां जमा करने के लिये और समय दिया जाना चाहिए. उन्होंने आग्रह किया कि जेएएल की पेशकश को सीओसी के समक्ष रखा जाना चाहिए. गौड़ ने कहा कि प्रस्ताव के तहत सुरक्षित वित्तीय लेनदारों को कुल 9,783 करोड़ रुपये की देनदारी का निपटान अग्रिम भुगतान, कर्ज के बदले भूमि और लंबी अवधि के डिबेंचर के माध्यम से किया जाएगा. इनका कुल मूल्य लगभग 12,500 करोड़ रुपये होगा. उन्होंने कहा कि मकान खरीदारों के लिये जेएएल आवास निर्माण के लिये 1,650 करोड़ रुपये निवेश करेगी. इसमें से 400 करोड़ अग्रिम होंगे. 

इसके अलावा, जेएएल ने 2019 में शीर्ष अदालत को प्रस्तुत की गई योजना के अनुसार, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की सावधि जमा और बकाया राशि का पूरा भुगतान करने की पेशकश की थी. गौड़ के अनुसार जेएलएल ने कर्जदाताओं के सभी बकाये के निपटान और लंबित 20,000 फ्लैट के निर्माण पूरा करने का भी वादा किया था. एनबीसीसी की आपत्ति के बीच सीओसी ने सोमवार को जेआईएल के अधिग्रहण के लिये सुरक्षा समूह की पेशकश पर मतदान प्रक्रिया टाल दी. 

सीअओसी ने अब 27-28 मई को इस बात के लिये मतदान करने का निर्णय किया है कि क्या सुरक्षा समूह और एनबीसीसी को संशोधित समाधान योजना पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उच्चतम न्यायालय के मार्च 2021 के निर्देश के तहत यह बोली प्रक्रिया का चौथा दौर है.