Forex Reserves का नया रिकॉर्ड, अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा
Forex Reserves में बड़ा उछाल दर्ज किया गया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. जानिए RBI का रिजर्व कितना बड़ा हो गया है.
Forex Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार न्यू ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC Meeting के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 मई तक 651.5 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया है. 24 मई को समाप्त हफ्ते में यह 646.67 अरब डॉलर पर था. ऐसे में कुल 4.83 अरब डॉलर का उछाल आया है.
भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि
शक्तिकांत दास ने द्विमासिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए अपने बयान में कहा, ‘‘ एक नई उपलब्धि, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 31 मई को 651.5 अरब अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक उच्चस्तर पर पहुंच गया.’’ इससे पहले 17 मई को विदेशी मुद्रा भंडार का सर्वकालिक उच्चतम स्तर 648.7 अरब अमेरिकी डॉलर था. विदेशी मुद्रा भंडार को किसी भी बाह्य क्षेत्र की गड़बड़ी को झेलने में अर्थव्यवस्था की समग्र ताकत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है. दास ने कहा कि देश का बाह्य क्षेत्र जुझारू बना हुआ है.
करेंट अकाउंट डेफिसिट का दबाव कम होता है
चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit), सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में बाह्य ऋण तथा शुद्ध अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति में सुधार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रमुख बाह्य संकेतकों में सुधार जारी है. उन्होंने कहा, ‘‘ कुल मिलाकर हमें अपनी बाह्य वित्तपोषण आवश्यकताओं को आसानी से पूरा करने का विश्वास है.’’ गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए चालू खाते का घाटा अपने टिकाऊ स्तर के भीतर रहने की संभावना है. उन्होंने प्रेषित धन, सेवा निर्यात और कम व्यापार घाटे से आने वाली मदद का संकेत दिया.
रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखा गया
RBI Monetary Policy की बात करें तो एकबार फिर से रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा गया है.MPC के 6 में से 4 सदस्यों ने रेट को स्थिर रखने पर फैसला किया. आरबीआई ने फरवरी, 2023 से रेपो दर में बदलाव नहीं किया है. तब से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बना है. रिजर्व बैंक हर 2 महीने पर MPC Meeting करता है. ये FY2024-25 की दूसरी बैठक है. इससे पहले अप्रैल के महीन में बैठक हुई थी. जब भी रेपो रेट बढ़ाया जाता है तो इससे लोन महंगे हो जाते हैं. इससे आम आदमी पर ईएमआई का बोझ बढ़ जाता है. लोन महंगे होने से इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है. मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है.
(भाषा इनपुट के साथ)