भारत में डेटा सेंटर कैपेसिटी का तेजी से विस्तार, FY27 तक यह डबल होकर 2100 MW पर पहुंचने का अनुमान
डेटा कंजप्शन बढ़ने और डेटा लोकलाइजेशन के कारण भारत में डेटा सेंटर्स का तेजी से विस्तार हो रहा है. ICRA की रिपोर्ट के मुताबिक, FY7 तक डेटा सेंटर कैपेसिटी डबल से ज्यादा होकर 2100 MW पर पहुंच जाने की संभावना है.
भारत की डेटा सेंटर क्षमता डिजिटल उछाल तथा डेटा लोकलाइजेशन प्रयासों से वित्त वर्ष 2026-27 तक 2,000-2,100 मेगावाट (MW) तक पहुंचने की उम्मीद है. इस दौरान इसमें 50,000-55,000 करोड़ रुपए का निवेश आने का अनुमान है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA ने मंगलवार को बयान में कहा, वर्तमान क्षमता 950 मेगावाट है. इसमें से एनटीटी ग्लोबल डेटा सेंटर, सीटीआरएलएस डेटा सेंटर, एसटीटी ग्लोबल डेटा सेंटर, सिफी टेक्नोलॉजीज और एनएक्सट्रा डेटा जैसी प्रमुख कंपनियां 85 प्रतिशत बाजार को (मार्च, 2024 तक) नियंत्रित करती हैं.
डेटा कंजप्शन तेजी से बढ़ रहा है
ICRA की उपाध्यक्ष अनुपमा रेड्डी ने कहा कि डेटा उत्पादन में वृद्धि तथा डेटा लोकलाइजेशन के लिए दबाव भारत के डेटा सेंटर परिदृश्य में एक परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘ कम डेटा शुल्क योजनाएं, किफायती स्मार्टफोन तक पहुंच, नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना और सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, गेमिंग तथा ओटीटी मंचों का बढ़ता उपयोगकर्ता आधार डेटा क्षेत्र में बढ़ोतरी के कुछ प्रमुख कारण हैं.’’
डेटा की मांग में जबरदस्त उछाल की उम्मीद
इसके अलावा AI आधारित मांग महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है. इसके अगले तीन से पांच साल में कई गुना बढ़ने की उम्मीद है. ICRA ने कहा कि मौजूदा क्षमता का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा छह शहरों में है, जिसमें मुंबई तथा चेन्नई सबसे आगे हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चूंकि ‘को-लोकेशन’ सेवाओं की मांग बढ़ रही है, खासकर हाइपरस्केलर्स तथा बैंकिंग व आईटी जैसे क्षेत्रों से, ऐसे में वित्त वर्ष 2024-25 में डेटा केंद्रों के राजस्व में 23-25 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि होने का अनुमान है.
ग्रीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट पर बढ़ रहा फोकस
इसके अलावा, जैसे-जैसे पर्यावरण संबंधी चिंताएं जोर पकड़ती जा रही हैं, भारतीय डेटा सेंटर संचालकों से अपेक्षा की जाती है कि वे हरित ऊर्जा में अपना निवेश वर्तमान पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 2028 तक अनुमानित 20-25 प्रतिशत कर देंगे.