खुशखबरी! सरकारी पोर्टल GeM पर सामान बेचना हुआ सस्ता, ट्रांजैक्शन चार्ज में बड़ी कटौती
GeM Portal: 'जीईएम' (GeM) ने अपने पोर्टल पर विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती की है.10 लाख रुपये तक के सभी ऑर्डर पर अब शून्य लेनदेन शुल्क लगेगा, जबकि पहले इसकी सीमा 5 लाख रुपये थी.
GeM Portal: सार्वजनिक खरीद के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'जीईएम' (GeM) ने अपने पोर्टल पर विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती कर दी है.एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. जीईएम के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अजीत बी चव्हाण ने कहा कि लेनदेन शुल्क में कटौती का यह "साहसिक" कदम केंद्र सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों की पहल का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने और अधिक समावेशी अर्थव्यवस्था बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता के साथ तालमेल बिठाते हुए जीईएम (GeM) ने हाल ही में अपने प्लेटफॉर्म पर लेनदेन करने वाले विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क में उल्लेखनीय कटौती की घोषणा की है. जीईएम ने 9 अगस्त से पोर्टल की नई राजस्व नीति को प्रभावी कर दिया है. इस नीति के अनुसार, 10 लाख रुपये तक के सभी ऑर्डर पर अब शून्य लेनदेन शुल्क लगेगा, जबकि पहले इसकी सीमा 5 लाख रुपये थी.
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10 लाख से ज्यादा के ऑर्डर ट्रांजैक्शन चार्ज
चव्हाण ने कहा, 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर पर कुल ऑर्डर मूल्य का 0.30 फीसदी लेनदेन शुल्क (Transaction Charge) लगाया जाएगा, जबकि पहले यह शुल्क 0.45 फीसदी था. उन्होंने कहा कि 10 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर पर अब तीन लाख रुपये का एकसमान शुल्क देना होगा, जो पहले 72.5 लाख रुपये तक के लेनदेन शुल्क से काफी कम है.
उन्होंने कहा कि नए बदलावों के बाद जीईएम पोर्टल (GeM Portal) पर लगभग 97 फीसदी लेनदेन पर कोई लेनदेन शुल्क नहीं लगेगा जबकि बाकी पर 10 लाख रुपये से अधिक के ऑर्डर मूल्य का 0.30 फीसदी शुल्क लगेगा और वह भी अधिकतम 3 लाख रुपये तक होगा.
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उन्होंने कहा कि नवीनतम लेनदेन शुल्क संरचना का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद पारिस्थितिकी तक विक्रेताओं एवं सेवा प्रदाताओं की पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना है. खासकर इससे छोटी और मझोली इकाइयों को फायदा होने की उम्मीद है. जीईएम (GeM) एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो अलग-अळग केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, स्वायत्त निकायों, पंचायतों, राज्य सहकारी समितियों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की सुविधा देता है. इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी.