एग्रीकल्चर प्रोडक्शन को लेकर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट, संभावित खतरों के लिए किया अलर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि अल नीनो (El Nino) जिससे सूखे जैसे हालात बन सकते हैं, कृषि उपज में कमी और दामों में बढ़ोतरी, भूराजनीतिक परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे संभावित जोखिमों को देखते हुए सतर्क रहना होगा, यह जरूरी है.
संभावित खतरों के प्रति भारत को रहना होगा सतर्क- वित्त मंत्रालय. (Image- PTI)
संभावित खतरों के प्रति भारत को रहना होगा सतर्क- वित्त मंत्रालय. (Image- PTI)
Finance Ministry Report: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि भारत को कृषि उत्पादन में कमी, कीमतों में बढ़ोतरी और भूराजनीतिक परिवर्तन जैसे संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है. मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा के मार्च संस्करण में कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5% की ग्रोथ का अनुमान विश्व बैंक (World Bank) और एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुमानों के अनुरूप है लेकिन कुछ कारक ऐसे भी हैं जो वर्तमान की अनुमानित बढ़ोतरी और मुद्रास्फीति के परिणामों के अनुकूल संयोजन को प्रभावित कर सकते हैं.
सूखे जैसे बन सकते हैं हालात
समीक्षा में कहा गया, अल नीनो (El Nino) जिससे सूखे जैसे हालात बन सकते हैं, कृषि उपज में कमी और दामों में बढ़ोतरी, भूराजनीतिक परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे संभावित जोखिमों को देखते हुए सतर्क रहना होगा, यह जरूरी है. इसमें कहा गया कि ये तीनों कारक वर्तमान की अनुमानित बढ़ोतरी और मंगाई के परिणामों के अनुकूल संयोजन को प्रभावित कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- ग्रेजुएशन के बाद नहीं मिली नौकरी तो बन गया किसान, अब खेती से कमा रहा लाखों
7% की दर से ग्रोथ करने का अनुमान
TRENDING NOW
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
SIP Vs PPF Vs ELSS: ₹1.5 लाख निवेश पर कौन बनाएगा पहले करोड़पति? जानें 15-30 साल की पूरी कैलकुलेशन, मिलेंगे ₹8.11 Cr
इसमें कहा गया कि महामारी और भूराजनीतिक संघर्ष के कारण उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था 2022-23 में मजबूत रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में मजबूती देखी जा रही है, इसके 7% की दर से ग्रोथ करने का अनुमान है जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ग्रोथ की तुलना में अधिक है. चालू खाता घाटे में सुधार, मुद्रास्फीति के दबाव में कमी और नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूती वाली बैंकिंग प्रणाली से मैक्रो इकोनॉमिक स्टैबिलिटी बढ़ती दिख रही है और इससे ग्रोथ रेट दर और भी टिकाऊ बनी है.
ये भी पढ़ें- 62 लाख बुनकरों और कारीगरों के लिए खुशखबरी, सरकार ने दी बड़ी सुविधा, इनकम में होगा बंपर इजाफा
बैंकिंग सेक्टर पर निगरानी बढ़ाई
वित्तीय क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सेक्टर पर निगरानी बढ़ाई है और इसके दायरे में आने वाले संस्थान बढ़े हैं. बैंकों पर दबाव का परीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है. समीक्षा के मुताबिक जमा की तेजी से निकासी होने की आशंका नहीं है क्योंकि 63% जमा परिवारों द्वारा किए जाते हैं जो निकासी जल्द नहीं करते. इन सब फैक्टर्स की वजह से भारत के बैंक अमेरिका और यूरोप के बैंकों से अलग हैं.
ये भी पढ़ें- Litchi Farming: मौसम का बदला मिजाज, किसानों के चेहरे पर लौट आई खुशी, बंपर पैदावार की आस
महंगाई आई काबू में
हालांकि 2021-22 में पूरे वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 5.5% था जो 2022-23 में बढ़कर 6.7% पर पहुंच गया. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यह 2022-23 की दूसरी छमाही में 6.1% पर ही रहा जो पहली छमाही में 7.2% था. इसमें कहा गया, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी के दामों में नरमी, सरकार के त्वरित कदमों और आरबीआई की मौद्रिक सख्ती ने घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति को काबू करने में मदद दी. परिवारों और व्यवसायों के लिए अलग-अलग सर्वेक्षणों में भी ऐसा देखा गया है कि मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं भी स्थिर प्रतीत हो रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि चालू खाता घाटे के कम होने, विदेशी पूंजी की आवक से विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही है.
ये भी पढ़ें- Government Scheme: सरकारी मदद से बनाएं अपनी गौशाला, गाय खरीदने के लिए सरकार देगी आधी रकम
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
04:25 PM IST