Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (7 दिसंबर)  को किसानों और कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ दूसरा प्री-बजट कंसल्टेशन आयोजित किया. बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव और दिपम सचिव और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव भी उपस्थित थे. बजट 1 फरवरी, 2025 को संसद में पेश किये जाने की संभावना है.

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वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पोस्ट में कहा, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतमारण ने आज नई दिल्ली में आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के संबंध में विभिन्न किसान संघों और प्रमुख कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ दूसरे प्री-बजट कंसल्टेशन की अध्यक्षता की.

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इस बैठक के दौरान किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान और कृषि क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई.  बैठक में किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र की प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए, जो आगामी बजट की नीतियों को सार्थक दिशा प्रदान करेंगे. यह संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कृषि और किसानों के कल्याण को निरंतर प्राथमिकता देने की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

अर्थशास्त्रियों ने औद्योगिक नीति लाने का दिया सुझाव

अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को सरकार को अगले वित्त वर्ष के बजट में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक औद्योगिक नीति लाने और राजकोषीय मजबूती में ढील देने का सुझाव दिया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की और 2025-26 के आम बजट पर उनके विचार मांगे.

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स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि अर्थशास्त्रियों ने सरकार को निवेश बढ़ाने के तरीके बताये और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के सुझाव भी दिए. महाजन ने कहा कि राजकोषीय मजबूती के संबंध में कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इसमें ढील दी जा सकती है, जबकि कुछ को लगता है कि मौजूदा रुख को जारी रखना चाहिए.

आम बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.9% तक लाने का अनुमान रखा है। वित्त वर्ष 2023-24 में घाटा जीडीपी का 5.6% था. अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि बजट में व्यापक विनिर्माण और औद्योगिक नीति लानी चाहिए. लेखा परीक्षक और प्रख्यात अर्थशास्त्री अनिल शर्मा ने कहा कि खपत बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर में कटौती के संबंध में भी सुझाव दिए गए.