आर्थिक मंदी, ताइवान समस्या और हाउसिंग क्राइसिस से जूझ रहा है चीन, ग्लोबल इकोनॉमी में भारत के लिए है बड़ा मौका
Chinese economic crisis: चीन की अर्थव्यवस्था हाउसिंग क्राइसिस, आर्थिक मंदी और ताइवान के मोर्चे पर तीहरे संकट का सामना कर रही है. जानकारों का कहना है कि इससे ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्या पैदा होगी और भारत इसे अपने लिए बड़ा अवसर के रूप में देख सकता है.
Chinese Economy: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी इस समय आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है. कोरोना के बाद चीन की अर्थव्यवस्था का हाल खराब है. जानकारों का कहना है कि चीन की समस्या भारत के लिए अवसर के रूप में है. अभी निवेश आकर्षित करने और वैकल्पिक वैश्विक आपूर्ति केंद्र (Alternative global sourcing hub)के रूप में उभरने के लिए भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल घटकर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है. चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी के कई कारण हैं.
चीन ने कोविड महामारी की रोकथाम के लिए लगातार ‘लॉकडाउन’ लगाए जिसका असर देखा जा रहा है. इसके अलावा वहां हाउसिंग क्राइसिस गंभीर हो रही है. चाइनीज इकोनॉमी में मंदी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है वहां के सेंट्रल बैंक (People's Bank of China) ने इंट्रेस्ट रेट में अचानक 10 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती का फैसला किया है.
जुलाई में इकोनॉमिक इंडिकेटर्स रहे काफी कमजोर
जुलाई महीने के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स पर गौर करें तो रिटेल सेल्स का ग्रोथ रेट 2.7 फीसदी रहा, जिसका अनुमान 4.9 फीसदी रखा गया था. जून में यह ग्रोथ 3.1 फीसदी था. प्रॉपर्टी सेल्स में 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जून की गिरावट 18 फीसदी थी. जुलाई में इंडस्ट्रियल आउटपुट 3.8 फीसदी रहा जिसका अनुमान 4.3 फीसदी का था. युवा बेरोजगारी दर बढ़कर रिकॉर्ड 19.9 फीसदी पर पहुंच गई. ये तमाम इंडिकेटर्स मंदी की तरफ इशारा कर रहे हैं.
ताइवान मामले से चीन की अर्थव्यवस्था पर होगा बुरा असर
इसके अलावा ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव भू-राजनीतिक अस्थिरता (geopolitical instability) में बदल सकता है. इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
निवेश में आएगी तेजी और भारत बन सकता है विकल्प
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुजान हाजरा ने कहा कि इन सबसे भारत के लिए कुछ सकारात्मक चीजें होंगी. उन्होंने कहा, ‘‘पहला, चीन में अनिश्चितता से वैकल्पिक वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में भारत आकर्षक हो सकता है. दूसरा, वैश्विक निवेशकों के उभरते बाजारों में कोष आवंटन में चीन की कीमत पर भारत की हिस्सेदारी बढ़ सकती है.’’
मूडीज ने चीन के ग्रोथ रेट को घटाकर 3.5 फीसदी किया
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2022 के लिए चीन की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि पूर्व में इसके 4.5 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी.
PLI स्कीम से मिलेगा फायदा
इनक्रेड पीएमएस के पोर्टफोलियो प्रबंधक आदित्य सूद ने कहा कि चीन में नरमी भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला (global value chain) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के अवसर प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सहित विभिन्न कदमों से वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
(भाषा इनपुट के साथ)