Budget 2019 : रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने से रोजगार के साथ GDP ग्रोथ में भी होगा इजाफा
रियल सेक्टर ऐसा उद्योग है जिसमें सीमेंट, स्टील, सैनिटरी वेयर, कांच और लकड़ी से लेकर तमाम चीजों की मांग है और सबसे ज्यादा मांग लेबर की है.
बीती 1 फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए अंतरिम बजट में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गई थीं. अब जब सरकार 5 जुलाई को संसद में पूर्ण बजट पेश करने जा रही है, उसे लेकर भी रियल्टी सेक्टर को बहुत उम्मीदें हैं. रियल्टी सेक्टर का मानना है कि इस बार भी सरकार उनके लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती है.
नेशनल रियल एस्टेट डवलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) के चेयरमैन तथा डीएलएफ के सीईओ राजीव तलवार ने बताया कि हाउसिंग, कंस्ट्रक्शन और रियल ऐस्टेट, ये तीन ऐसे क्षेत्र हैं जो एक ही उद्योग से जुड़े हुए हैं. इनमें क्षेत्रों में बढ़त होती है तो रोजगार में इजाफा होगा. जीडीपी ग्रोथ को बूस्ट मिलेगा और घर खरीदारों को भी राहत मिलेगी. घर खरीदारों के अलावा प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों को भी फायदा होगा.
राजीव तलवार ने बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर में 90 फीसदी मांग अफोर्डेबल हाउस की है, भले ही वे 300 वर्ग स्क्वायर मीटर से लेकर 1,000 वर्ग स्क्वायर मीटर वाले घर क्यों न हों. और सरकार की भी योजना है कि 2022 तक सभी को घर मुहैया कराया जाए. बाकि 10 फीसदी मांग दूसरे वर्ग के घरों की है.
इसलिए अगर सरकार 2022 से पहले 6 करोड़ घर बनाना चाहती है तो 60 लाख घर ऐसे बनाने होंगे जो अन्य वर्ग के होंगे. इसलिए रियल सेक्टर में सभी के लिए अच्छा काम रहेगा.
रियल सेक्टर ऐसा उद्योग है जिसमें सीमेंट, स्टील, सैनिटरी वेयर, कांच और लकड़ी से लेकर तमाम चीजों की मांग है और सबसे ज्यादा मांग लेबर की है. इसलिए रियल सेक्टर को गति मिलने से समाज के एक बड़े वर्ग को काम मिलेगा और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर साफ-साफ दिखाई देगा.
उन्होंने जीएसटी परिषद से मांग की है कि रियल सेक्टर में इनपुट टैक्स क्रेडिट जरूर लेकर आएं. इसके अलावा रेंटल हाउसिंग को देश में साकार करने के लिए इनसेंटिव जरूर देना चाहिए. ताकि शहर में आने वाले हर गरीब से गरीब आदमी को एक किराए का घर तो मिल सके.
अंतरिम बजट में रियल एस्टेट के लिए हुए थे ये ऐलान-
- सस्ते घरों पर टैक्स छूट की सीमा एक साल से बढ़ाई गई.
- अनसोल्ड इंवेन्ट्री पर 2 साल तक रेंटल टैक्स नहीं लगेगा.
- किराए पर TDS छूट की सीमा 1.8 लाख से बढ़कर 2.4 लाख.
- दूसरे घर के नोशनल रेंट (कल्पित किराया) पर टैक्स नहीं लगेगा.
- दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को भी टैक्स फ्री कर दिया था.
- 1 घर के बजाए 2 घरों निवेश पर भी मिलेगी कैपिटल गेन की छूट.
- 1 घर बेचकर दोबारा निवेश करने पर 2 करोड़ तक के कैपिटल गेन पर छूट.