बजट 2019: क्या 'इतिहास' दोहराएंगे अरुण जेटली? 3 वित्त मंत्री पहले कर चुके हैं ऐसा
चुनाव से पहले यह अंतरिम बजट होगा. अंतरिम बजट को लेखानुदान यानी वोट ऑन अकाउंट भी कहा जाता है. सरकार इसमें वित्त वर्ष 2020 के लिए विजन पेश करेगी.
1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना छठा बजट पेश कर सकते हैं. (फाइल फोटो)
1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना छठा बजट पेश कर सकते हैं. (फाइल फोटो)
बजट 2019 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना छठा बजट पेश कर सकते हैं. हालांकि, चुनाव से पहले यह अंतरिम बजट होगा. इस बजट सरकार पुरानी परंपराओं को निभाते हुए वित्त वर्ष 2020 के लिए विजन पेश करेगी. साथ ही पिछले वित्त वर्ष में उसने कौन से बड़े काम किए हैं, इसका लेखा-जोखा पेश होगा. अंतरिम बजट में किसी तरह की नई घोषणाएं नहीं होती हैं. लेकिन, चुनावी साल होने के नाते सरकार कुछ कदम उठा सकती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि बजट में टैक्स रेट को लेकर कुछ रियायतें दी जा सकती हैं. अभी तक सरकार ने भी पूरी तरह इन खबरों को नकारा नहीं है. इससे साफ जाहिर कि टैक्स रेट्स में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. यह पहली बार नहीं है जब अंतरिम बजट में ऐसा होगा. लेकिन, सवाल यह है कि क्या अरुण जेटली इतिहास को दोहराएंगे?
वोट ऑन अकाउंट
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह अंतरिम बजट होगा. अभी इस बजट पर चर्चा शुरू नहीं हुई है. अंतरिम बजट को लेखानुदान यानी वोट ऑन अकाउंट भी कहा जाता है. 21 नवंबर को वित्त मंत्रालय ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से जेटली के बजट भाषण के लिए इनपुट मांगे थे. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि सरकार पिछली बार की तरह इस बार भी 1 फरवरी को ही बजट पेश करेगी.
क्या कहती है परंपरा?
बजट को लेकर देश की परंपरा रही है कि चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है और इस अंतरिम बजट में निवर्तमान सरकार का फोकस उसकी उपलब्धियों पर रहता है. साथ ही अगले वित्त वर्ष के लिए उसका विजन क्या है इस पर चर्चा होती है. आमतौर पर अंतरिम बजट में किसी नई योजना की घोषणा नहीं की जाती है. इसके अलावा फाइनेंस बिल के जरिए मौजूदा टैक्स रेट्स में भी कोई बदलाव नहीं किया जाता. इसके अलावा बजट के साथ ही पेश होने वाले लेखानुदान से सरकार वित्त वर्ष के एक हिस्से का खर्च चलाने के लिए संसद की मंजूरी मांगती है. हालांकि, अनुमान पूरे साल के लिए पेश किए जाते हैं.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
सरकार दे सकती है इशारा
भले ही सरकार का यह अंतरिम बजट होता है लेकिन, सरकार इशारों में यह जाहिर कर सकती है कि उसका आने वाले दिनों के लिए मकसद क्या है. साथ ही कुछ सेक्टर्स के लिए ज्यादा आवंटन का प्रस्ताव भी रखा जा सकता है. सरकार का फोकस किस सेक्टर या विभाग पर होता है यह अंतरिम बजट की झलकियों में समझा जा सकता है. चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार अंतरिम बजट के अनुमानों को पूर्ण बजट में शामिल कर सकती है या फिर पूरी तरह बदल सकती है.
टैक्स रेट में नहीं होता बदलाव
परंपरा को देखें तो अंतरिम बजट में पिछले साल के टैक्स रेट को बदला नहीं जाता. अगले वित्त वर्ष के लिए भी यह टैक्स रेट जस का तस रहते हैं. नई सरकार के आने पर इन्हें बदला जा सकता है. हालांकि, इतिहास दूसरी तरफ भी इशारा करता है, जब अंतरिम बजट में टैक्स के मामले में कुछ बदलाव किए गए हैं. ऐसे में मौजूदा वित्त मंत्री के पास यह मौका है कि वह टैक्स रेट्स में कुछ बदलाव कर सकें. अगर वह इतिहास दोहराते हैं तो यकीनन एक इंडस्ट्री या आम आदमी को राहत मिल सकती है.
अंतरिम बजट में बदले गए टैक्स रेट
- वित्त वर्ष 2015 के लिए अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए सेंट्रल एक्साइज टैक्स को घटाया था.
- वित्त वर्ष 2010 के अंतरिम बजट के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लेखानुदान पर अपने जवाब में एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स की दरों में 2 फीसदी की कटौती की थी.
- 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने लेखानुदान के कुछ ही दिनों पहले इनडायरेक्ट टैक्स में कमी की घोषणा की थी.
- मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास इनडायरेक्ट टैक्स में बदलाव करने का विकल्प नहीं है. क्योंकि, वस्तु एवं सेवा कर यानी GST लागू होने से कस्टम्स ड्यूटी या डायरेक्ट टैक्सेज में ही बदलाव की गुंजाइश है.
अब देखना यह होगा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2020 के लिए पेश होने वाले अंतरिम बजट में टैक्स रेट्स में कोई बदलाव करते हैं या नहीं.
01:49 PM IST