चावल के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाएगी सरकार, घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बफर स्टॉक उपलब्ध
Rice Export: चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत वैश्विक व्यापार में 40% की हिस्सेदारी रखता है. देश ने वित्त वर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया, जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती चावल (Basmati Rice) था.
Rice Export: सरकार की चावल के निर्यात पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की अभी कोई योजना नहीं है. घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए इस अनाज का पर्याप्त बफर स्टॉक देश के पास है. सूत्र ने कहा कि चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बारे में कुछ चर्चा जरूर हुई है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. सरकार द्वारा अभी किसी तरह का बैन लगाने की संभावना नहीं है. चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत वैश्विक व्यापार में 40% की हिस्सेदारी रखता है.
FY22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश ने वित्त वर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया, जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती चावल (Basmati Rice) था. इसी अवधि में देश ने 6.11 अरब डॉलर मूल्य के गैर-बासमती चावल का भी निर्यात किया. देश ने वर्ष 2021-22 में 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.
धान की कम बुवाई से चावल का घट सकता है उत्पादन
कुछ राज्यों में कम बारिश के कारण इस खरीफ बुवाई के मौसम में अब तक धान का रकबा 6% घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर रह गया है. ऐसे में चिंता जताई जा रही है कि फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में चावल का उत्पादन घट सकता है. व्यापारियों को डर है कि मौजूदा स्थिति केंद्र को चावल के निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर कर सकती है जैसा कि गेहूं के मामले में हुआ है.
4.7 करोड़ टन चावल का स्टॉक
धान मुख्य खरीफ फसल है, जिसकी बुवाई जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अक्टूबर से कटाई शुरू होती है. पिछले फसल वर्ष में चावल का उत्पादन बढ़कर 13 करोड़ 2.9 लाख टन हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 12 करोड़ 43.7 लाख टन था.
पिछले कुछ वर्षों में भारी उत्पादन और उच्च खरीद के बल पर केंद्र के पास 1 जुलाई तक बगैर मिलिंग वाले धान के बराबर चावल सहित 4.7 करोड़ टन चावल का स्टॉक बचा हुआ है. जबकि 1 जुलाई की स्थिति के अनुसार चावल के बफर स्टॉक की जरूरत 1.35 करोड़ टन की ही थी.
गेहूं की खरीद घटकर 1.9 करोड़ टन
पहले से ही केंद्र राशन की दुकानों के माध्यम से गेहूं के बजाय अधिक चावल की आपूर्ति कर रहा है क्योंकि इस मार्केटिंग ईयर में गेहूं की खरीद घटकर 1.9 करोड़ टन रह गई है, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह खरीद 4.3 करोड़ टन की हुई थी. गेहूं मार्केटिंग ईयर अप्रैल से मार्च तक होता है लेकिन लगभग पूरी मात्रा में अनाज जून के अंत तक खरीद लिया जाता है.
PMGKAY के तहत 2 रुपये किलो गेहूं और 3 रुपये किलो चावल
मौजूदा समय में, सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत 2 रुपये और 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से गेहूं और चावल उपलब्ध करा रही है. यह खाद्यान्न लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana- PMGKAY) के तहत मुफ्त प्रदान किया जाता है.
हर महीने 5 किलो अनाज
केंद्र NFSA के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज (गेहूं और चावल) उपलब्ध करा रहा है. इसके अलावा PMGKAY के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. PMGKAY योजना सितंबर तक वैध है और सरकार ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है कि गेहूं के संबंध में कमजोर स्टॉक की स्थिति और चावल उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच इस कल्याण कार्यक्रम का विस्तार किया जाए या नहीं.