Wheat Cultivation: रबी के दौरान गेंहू की फसल में होने वाली पीली रोली रोग के कीट का खतरा बढ़ गया है. इसे देखते हुए राजस्थान कृषि विभाग ने गेहूं किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. कृषि विभाग के ने बताया कि पीली रोली रोग में पत्तियों का रंग फीका पड़ जाता है व उन पर बहुत छोटे पीले बिन्दु नुमा फफोले उभरते है. पूरी पत्ती पीले रंग के पाउडरनुमा बिन्दुओं से ढक जाती है. 

ये इस रोग को देते हैं बढ़ावा

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पत्तियों पर पीले से नारंगी रंग की घारियों आमतौर पर नसों के बीच के रूप में दिखाई देती है. संक्रमित पत्तियों को छूने पर संगलियों और कपडो पर पीला पाउडर या धूल लग जाती है. पहले यह रोग खेत में 10-15 पौधों पर एक गोल दायरे के रूप में शुरू हो कर बाद में पूरे खेत में फैलता है. ठंडा और आर्द्र मौसम परिस्थिति, जैसे 6 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान, वर्षा, उच्च आद्रता, ओस, कोहरा, इत्यादि इस रोग के विकारों को बढ़ावा देते है.

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कृषि विभाग ने इसके प्रबंधन के लिए विभाग द्वारा उपाय सुझाए हैं. खेत में जल जमाव न होने, नाइट्रोजनयुक्त उर्वरको के अधिक प्रयोग से बचने और विभागीय सिफारिशानुसार ही उर्वरक व कीटनाशक की मात्रा का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी जाती है. माह जनवरी-फरवरी में फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करें और किसी भी लक्षण के संदेह में आने पर संबंधित पादप रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर रोग की पुष्टी कराएं क्योकि कभी-कभी पत्तियों का पीलापन रोग के अन्य कारण भी हो सकते हैं.

उन्होंने बताया कि रोग की पुष्टी होने पर संक्रमित पौधों के समूह को एकत्र करके नष्ट करें और अविलम्ब संक्रमित क्षेत्र में विभागीय सिफारिशानुसार कवकनाशी रसायनों का मौसम साफ होने पर खड़ी फसल में छिड़काव एवं  भूरकाव कर नियंत्रण करें. कीट व्याधि का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने पर किसानों को अविलंब अनुदान पर विभाग द्वारा पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध करवाते हुए कीट-व्याधि का नियंत्रण व प्रबंधन किया जाए. 

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