Success Story: आजकल पढ़े-लिखे युवा खेती-किसानी में अपना करियर बना रहे हैं. वहीं, कुछ तो अपनी जमी-जमायी नौकरी छोड़कर खेती में हाथ आजमा रहे हैं और इसमें वो सफलता भी पा रहे हैं. महाराष्ट्र के अहमदनगर के रहने वाले नीलेश दत्तात्रेय नंद्रे आज के युवाओं के लिए एक बेहतर उदाहरण हैं, जिन्होंने एग्री में ग्रेजुएशन करने के बाद खेती में करियर बनाया. उनका ये फैसला सही साबित हुआ और आज वो इससे लाखों में कमाई कर रहे हैं.

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नीलेश ने एग्री-क्लिनिक एंड एग्री-बिनेस सेंटर स्कीम के तहत पुणे के MITCON से ट्रेनिंग ली. फिर बांस के उत्पादन को लेकर किसानों को जागरूक करने का काम किया. नीलेश का कहना है कि बांस गरीब आदमी की लकड़ी है. आर्थिक स्तर पर बांस की खेती काफी फायदेमंद है. शुरुआती वर्षों में बांस रोपण (Bamboo Farming) की लागत अधिकतम 35,000 रुपये प्रति एकड़ है. पहले 5 वर्षों में अंत:फसल से कमाई होती है, जिससे बांस के बागान को पोषण और जरूरी सिंचाई भी मिलती है. छठे वर्ष से 2 से 3 इंच मोटाई और 8 फुट के बांस से लगभग 1500 रुपये प्रति बांस कमाया जा सकता है.

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इन इंडस्ट्री में बांस की भारी मांग

नीलेश ने कहा, एसी और एबीसी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वो बांस की खेती (Bamboo Cultivation) को बढ़ावा देने में शामिल हो गए. उसने बायबैक मोड पर बांस की खेती के लिए 350 किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए. वो बांस की खेती पर परामर्श देते हैं. रियल एस्टेट, पेपर इंडस्ट्री और हस्तशिल्प उद्योग से बांस की भारी मांग बढ़ रही है. नीलेश के मुताबिक, बांस एक बार लगाने के बाद 40 से 50 साल मुनाफा देने वाला पौधा है. ये 90 साल तक भी  जा सकता है.

सालाना 25 लाख रुपये का कारोबार

नीलेश बांस के बिजनेस से सालाना 25 लाख रुपये का कारोबार कर रहे हैं. वो 9 गांवों के 350 से ज्यादा किसानों को बांस पर परामर्श दे रहा हैं. किसानों को वैज्ञानिक तरीके से बांस की खेती की ट्रेनिंग देते हैं. उन्होंने 8 लोगों को रोजगार भी दिया है.

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