Success Story: कोराना संकट पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन कर आया.  मार्च 2020 में भारत में जब कोरोना महामारी की दस्तक के बाद लॉकडाउन लगा तो लोगों को खाने के लाले पड़ गए. इस मुश्किल घड़ी में उनको अपना गांव सहारा दिया. हरियाणा के सिरला जिला के करमसाना गांव की रहने वाली सुमित्रा की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. कोरोना में नौकरी छूटने के बाद गांव लौटी और यहां झींगा पालन (Shrimp Culture) का बिजनेस शुरू की. झींगा मछली के पालन से उन्हें रोजगार के साथ अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है. अब वो सालाना 25 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर रही हैं.

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सुमित्रा एक गृहिणी हैं और खुद से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थीं ताकि वह परिवार का भरण पोषण कर सके. उसने खेती करने की सोची लेकिन नहर में पानी की कमी थी. भूमिगत जल खारा था और यह खेती के लिए उपयुक्त नहीं थी. उन्होंने खारे पानी से कमाई करने की ठानी और  एक्वाकल्चर (Aquaculture)  में हाथ आजमाई.

झींगा पालन में हाथ आजमाया

सुमित्रा ने ज़ी बिजनेस से खास बातचीत में कहा, झींगा पालन शुरू करने के लिए राज्य मत्स्य विभाग हरियाणा के मार्गदर्शन और सहयोग से उसने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान  Saline/ Alkaline White shrimp culture के लिए आवेदन किया. बता दें कि PM Matsya Sampada Yojana के तहत अनुसूचित जाति की महिलाओं को मछली पालन का कारोबार शुरू करने के लिए 60% सब्सिडी दी जाती है. जबकि सामान्य वर्ग की महिलाओं को 40% सब्सिडी मिलती है.

कैसे मिला आइडिया?

सुमित्रा ने बताया कि उनके पास ढाई एकड़ जमीन है लेकिन पानी खारा होने की वजह से खेती का कोई विकल्प नहीं था. एक दिन समाचार पत्र में खारे पानी में झींगा पालन के बारे में पढ़ी और उसे यूट्यूब पर देखा. इसके साथ ही झींगा पालन के लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली स्कीम के बारे में भी पढ़ा. इसके बाद खारे पानी में झींगा पालन करने की सोची. अप्रैल 2021 में उन्होंने मत्स्य पालन विभाग सिरसा में आवेदन किया. 

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सरकार से मिली 8 .3 लाख रुपए की मदद

सुमित्रा ने बताया कि 2021 में उसने 10 टन उत्पादन क्षमता वाले 1.6 हेक्टेयर क्षेत्र में दो तालाब बनाए और उसमें झींगा पालन शुरू किया. इस योजना के तहत उन्हें कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट 25 लाख रुपए में से 8.3 लाख रुपए की वित्तीय मदद मिली.

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पहले साल 19 लाख रुपए का मुनाफा

2021 में सुमित्रा ने 10 टन सफेद झींगा का उत्पादन किया और 19 लाख  रुपए का नेट प्रॉफिट कमाया. इस पर 15 लाख रुपए खर्च हुए. वहीं 2022 में उसने 45 टन सफेद झींग का उत्पादन किया और 34 लाख वार्षिक टर्नओवर के साथ 25 लाख रुपए का नेट प्रॉफिट कमाया. इसके अलावा, वो चार लोगों को रोजगार दे रही हैं.

विदेशों में है सफेद झींगा की डिमांड

सफेद झींगा की मांग विदेशों में है. आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर झींगा पालन किया जाता है. सुमित्रा बताती हैं कि उनका उत्पादन आंध्र प्रदेश के व्यापारी खरीदते हैं और यहां से झींगा खरीदकर विदेशों में एक्सपोर्ट करते हैं. वो मछली की कीमत देकर यहां से ट्रक लेकर जाते हैं.