Success Story: जिंदगी में अगर कुछ करने की ठान ली जाए तो बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है. उत्तर बिहार के कई जिलों में हर साल बाढ़ आती है. इसकी वजह से उनकी फसल बर्बाद हो जाती है. इस आपदा को बिहार के दरभंगा जिले के एक युवा किसान धीरेंद्र कुमार ने अवसर में बदला. एक्वाकल्चर खेती की शुरुआत की और मखाना और कांटा रहित सिंघाड़े की खेती से बाढ़ का कलंक धो दिया. कृषि विज्ञान में पीएचडी कर चुके धीरेंद्र ने पिछले 6 वर्षों से खेती में नए प्रयोग कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है. बाढ़ के दौरान खेतों में 10 से 12 फीट तक पानी भर जाता था. लंबे समय तक पानी ठहरने से खरीफ में धान की फसल नष्ट हो जाती थी. ऐसे में खरीफ के विकल्प के लिए मखाना और सिंघाड़े की खेती बेहतर साबित हो रही है.

बिहार सरकार भी करती है मदद

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मखाने की खेती पर बिहार सरकार किसानों को सब्सिडी भी देती है. किसानों को इस कार्यक्रम के तहत प्रति एक एकड़ 29,100 रुपये का अनुदान मिलेगा. जो किसान अनुदान लेना चाहते हैं, वे आवेदन कर सकते हैं. जिनका आवेदन पहले मंजूर होगा, उन्हीं को अनुदान का फायदा पहले दिया जाएगा. मखाना के दो प्रभेद 'स्वर्ण वैदेही' 'सबौर मखान-1' की खेती किसानों को मोटा मुनाफा देती है.

ये भी पढ़ें- Success Story: 2.5 लाख रुपये लोन लेकर शुरू की बकरी पालन, ट्रेनिंग के बाद बढ़ी कमाई

2019 में शुरू की मखाने की खेती

बिहार सरकार कृषि विभाग के मुुताबिक, किसान परिवार से होने के कारण खेती में होने वाले नफा-नुकसान और चुनौतियों को समझा है. 2006 में 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद कृषि में ही करियर बनाने का लक्ष्य तय किया. खरीफ सीजन को फसलों को प्रत्येक साल बर्बाद होते देखता था. इससे दोहरी आर्थिक क्षति होती थी. एक पूरा सीजन खाली जाता और दूसरा धान की खेती मे जो पैसा लगाते वह बाढ़ डूब जाता था. साल 2019 में मखाना अनुसंधान संस्थान, दरभंगा द्वारा विकसित मखान के 'स्वर्ण वैदेही' की आधा एकड़ खेत में प्रायोगिक तौर पर खेती की.  समाज में कहा जाने लगा कि मखाने की खेती आसान नहीं है, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति और कठोर परिश्रम से असंभव को संभव कर दिखाया. 

एक सीजन में 1 लाख रुपये का मुनाफा

धीरेंद्र के मुताबिक, जिस खेत में मखाना और सिंघाड़े की फसल होती है. वहां बाढ़ के साथ आई मछलियां जमा हो जाती है. अक्टूबर-नवंबर में रबी की बुआई से पहले मछली से अतिरिक्त आय मिल जाती है. एक एकड़ में मखाना, सिंघाड़ा और मछली से 1 लाख रुपये से ज्यादा का नेट प्रॉफिट अब सिर्फ खरीद सीजन में हो जाता है. उसी खेती में रबी सीजन में गेहूं, दलहन, तिलहन व मवेशी के लिए हरे चारे की फसल लेते हैं. साथ ही मखाना, सिंघाड़ा के पौधे गलने के कारण खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. 

ये भी पढ़ें- सिंचाई की टेंशन खत्म! फ्री में बनवाएं तालाब और कुआं, सरकार दे रही पैसे, नोट कर लें अंतिम तारीख