Success Story: परंपरागत खेती को छोड़ किसान अब फल और फूल की खेती में हाथ आजमाने लगे हैं ताकि वो खेती से ज्यादा मुनाफा कमा सकें और अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकें. बिहार के आरा जिले के अरविंद माली भी ऐसे ही एक किसान हैं जो गैर-परंपरागत खेती में उतर गए हैं. उन्होंने परंपरागत खेती से इतर फूलों की खेती में हाथ आजमाया और इसमें वो सफल भी हुए. अब वो फूलों की खेती से प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं.

फूलों ने संवारी जिंदगी

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आरा के जिला के कोइलवर प्रखंड के रहने वाले अरविंद माली परंपरागत खेती पर ही आश्रित थे. पहले वो धान-गेहूं ही उपजाते थे. दिन-रात उसी में जुटे रहते थे. लेकिन इससे उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी. इसलिए, उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर फूलों की खेती शुरू की. उनका यह प्रयास सफल रहा और अब हर महीने लाखों रुपये तक फूल बेच लेते हैं.

ये भी पढ़ें- केंद्र की योजना से महिलाओं के जीवन में आई खुशियां, 'लखपति दीदि‍यों' ने बताई अपनी कहानी

कहां से मिला आइडिया

अरविंत पांच साल पहले पटना की फूल मंडी में गए थे. एक व्यापारी ने उन्हें फूलों की मांग के बारे में जानकारी दी. यह बताया कि वे लोग फूल कोलकाता की मंडी से लाते हैं. ट्रांसपोर्टेशन खर्च ज्यादा होता है. बस, उनके मन में यही बात बैठ गई कि स्थानीय स्तर पर ही फूल उपलब्ध करा दें तो.

कितनी होती है कमाई

अरविंद ने गेंदा और गुलाब की खेती शुरू की. शुरुआत में परेशानी जरूर आई, लेकिन जब एक बार सप्लाई चेन बन गई तो समस्या हल हो गई. बिहार कृषि विभाग के मुताबिक, वो 12 बीघा में खेत में फूलों की खेती करते हैं. हर महीने करीब 1 लाख रुपये तक के फूल बिक जाते हैं. इसमें से 70 से 75 हजार रुपये तक का मुनाफा हो जाता है. साल में प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है.

उन्होंने जब फूलों की खेती की शुरुआत की तो कई लोगों ने समझाया भी, पर आज उन्हीं फूलों से पैसे झड़ रहे हैं. शादी-ब्याह से लेकर दशहरा और उसके बाद दिवाली, भाई दूज, गोवर्धन पूजा, छठ, क्रिसमस और न्यू ईयर पर फूलों पर मांग हमेशा बनी रहती है. अब आस-पास के किसान भी उनसे सीखने आ रहे हैं.