Potatoes Farming: आलू की फसल में लगने वाले कीटों व रोगों से लगभग 40 से 45 फीसदी का का नुकसान होता है. आलू की फसल में तीन मुख्य रोग- सफेद भृंग, पिछात झुलसा और अगात झुलसा लगते हैं. इसलिए आलू की सफल खेती के लिए जरूर है कि समय रहते इन तीनों रोगों पर नियंत्रण पा लें.
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रोकथाम के तरीके
बिहार कृषि विभाग ने आलू की खेती करने वाले किसान भाई को कीट-व्याधि के प्रकोप की रोकथाम करके अधिक उपज पा सकते हैं. कृषि विभाग ने किसानों को रोगों की रोकथाम के तरीके बताए हैं.
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सफेद भृंग
भूरे रंग के इस कीट की मादा मई से अगस्त तक मिट्टी में अंडे देती है, जिससे मटमैले रंग के पिल्लू निकलकर आलू की जड़ों को खा जाते हैं, जिससे फसल सूख जाता है.
प्रबंधन- शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच में 1 लाइट ट्रैप प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें. कार्बोफ्यूरॉन 3 जी. 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल बुआई के समय करें.
इस रोग में आलू की पत्तियां किनारे और सिर से सूखती है और सूखे भाग को रगड़ने पर खर-खर की आवाज आती है.
प्रबंधन- 15 दिनों के अंतराल पर मैंकोजेब 75% घु.चू. का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी से सुरक्षात्मक छिड़काव करें. अधिक प्रकोप होने पर मैंकोजेब और मेटालैक्सील या कार्बेन्डाजिम और मैंकोजेब संयुक्त उत्पाद का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी से फसल पर छिड़काव करें.
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अगात झुलसा
इस रोग में पत्तियों पर भूरे रंग का संकेंद्रित रिंगनुमा गोल धब्बा बनता है जिसे टार्गेट बोर्ड इफेक्ट भी कहते हैं. धब्बों के बढ़ने से पत्तियां झुलस जाती है.
प्रबंधन- खेत को साफ-सुथरा रखें और स्वस्थ व स्वच्छ बीज का इस्तेमाल करें. मैंकोजेब 75% घु.चू. 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम और मैंकोजेब संयुक्त उत्पाद का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी से फसल पर छिड़काव करें.
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