Nano Urea: चालू 2024-25 रबी सीजन के लिए देश की नैनो यूरिया की जरूरत 500 मिलीलीटर की 2.36 करोड़ बोतलें होने का अनुमान है. इसमें सबसे ज्यादा मांग उत्तर प्रदेश में है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा जरूरत, उत्तर प्रदेश से 43.38 लाख बोतलों की है. उसके बाद महाराष्ट्र (34.7 लाख बोतलें) और पंजाब (20.82 लाख बोतलें) का नंबर आता है.

इन राज्यों ने नहीं बताई कोई जरूरत

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हरियाणा और कर्नाटक को इस सत्र में 17.35 लाख बोतलों की जरूरत होने का अनुमान है, जबकि राजस्थान को 15.01 लाख बोतलों और मध्य प्रदेश को 12.54 लाख बोतलों की जरूरत है. हालांकि, गुजरात, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादर और नगर हवेली और अंडमान एंड निकोबार से कोई जरूरत नहीं बताई गई है.

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देश में नैनो यूरिया के 6 प्लांट चालू

देश में मौजूदा समय में नैनो यूरिया के 6 चालू प्लांट हैं जिनकी संयुक्त वार्षिक क्षमता 27.22 करोड़ बोतलों की है. 3 प्लांट वर्ष 2024 में चालू किए गए. इनमें मेघमणि क्रॉप न्यूट्रिशन (Meghmani Crop Nutrition) का प्लांट 5 करोड़ बोतलों की क्षमता वाला, जुआरी फार्म हब (Zuari Farm Hub) और कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड (Coromandel International Ltd) की सुविधाएं क्रमशः 12 लाख बोतलों और 60 लाख बोतलों की क्षमता वाली हैं.

एक सहकारी उर्वरक कंपनी इफको (IFFCO), बाकी 3 प्लांट्स का संचालन करती है, जिन्हें वर्ष 2021 और वर्ष 2023 के बीच चालू किया गया. इनमें गुजरात के कलोल में 5 करोड़ बोतलों की क्षमता वाला भारत का पहला नैनो यूरिया (Nano Urea) प्लांट और उत्तर प्रदेश के फूलपुर और आंवला में उत्पादन केन्द्र शामिल हैं. सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त नैनो यूरिया प्लांट्स की स्थापना को बढ़ावा दे रही है. 

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रबी सीजन में इन फसलों की बुवाई

रबी सीजन में, जिसकी बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और अप्रैल से कटाई होती है, मुख्य रूप से गेहूं (Wheat), जौ (Barley), चना (Gram) और रैपसीड सरसों (Rapseed Mustard) का उत्पादन होता है.

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