चेंपा कीट से बर्बाद हो सकती है सरसों की फसल, सरकार ने किसानों को बताए रोकथाम के उपाय
Crop Protection: किसान अगर इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करते हैं तो फसलों की पैदावार में काफी कमी होने की संभावना हो जाती है.
(Image- Freepik)
(Image- Freepik)
Crop Protection: मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण सरसों की फसलों में चेंपा (मोयला) कीट लगने की संभावना जनवरी महीने में बढ़ जाती है. जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सैल्सियस और मौसम में आर्द्रता ज्यादा होती है तो चेंपा कीट (Chempa Insect) फैलने की संभावना रहती है, जिससे किसानों की फसलों की पैदावार प्रभावित होती है. इसे देखते हुए राजस्थान सरकार के कृषि विभाग ने किसानों (Farmers) को चेंपा कीट की रोकथाम के लिए जरूरी सलाह दी है.
समय रहते चेंपा कीट पर नियंत्रण करें किसान
राजस्थान सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, किसान अगर इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करते हैं तो फसलों की पैदावार में काफी कमी होने की संभावना हो जाती है, इसलिए किसान कृषि अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक की सिफारिश के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग कर समय रहते इन पर नियंत्रण करें.
ये भी पढ़ें- इस साल सस्ता होगा आटा, गेहूं उत्पादन पर सरकार का आया बड़ा अपडेट
चेंपा कीट प्रकोप का असर
TRENDING NOW
6 शेयर तुरंत खरीद लें और इस शेयर को बेच दें; एक्सपर्ट ने निवेशकों को दी कमाई की स्ट्रैटेजी, नोट कर लें टारगेट और SL
इस कंपनी को मिला 2 लाख टन आलू सप्लाई का ऑर्डर, स्टॉक में लगा अपर सर्किट, 1 साल में 4975% दिया रिटर्न
टिकट बुकिंग से लेकर लाइव ट्रेन स्टेटस चेक करने तक... रेलवे के एक Super App से हो जाएगा आपकी जर्नी का हर काम
Retirement Planning: रट लीजिए ये जादुई फॉर्मूला, जवानी से भी मस्त कटेगा बुढ़ापा, हर महीने खाते में आएंगे ₹2.5 लाख
चेंपा कीट का प्रकोप जनवरी माह में ज्यादा होता है, जिसमें हल्के हरे - पीले रंग का कीट छोटे-छोटे समूह में रह कर पौधे के अलग-अलग कोमल भागों, फूलों, कलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है. रस चूस जाने के कारण पौधें की बढ़ोतरी रूक जाती है, कलियां कम आती है और फलियों के दानों की संख्या में भी कमी आती है जिससे कम पैदावार मिलती है.
चेंपा कीट की रोकथाम के उपाय-
चेंपा कीट का प्रकोप होते ही एक हफ्ते के अंदर पौधे की मुख्य शाखा की लगभग 10 सेमी की लम्बाई में चेंपा की संख्या 20 से 25 तक दिखाई देने पर मेलाथियॉन 5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर में भुरकाव करें या मैलाथियॉन 50 ई.सी. सवा लीटर अथवा डायमेथोएट 30 ई.सी. एक लीटर दवा प्रति हैक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें- बागवानी फसलों का होगा रिकॉर्ड उत्पादन, जानिए टमाटर और आलू और का क्या है हाल
02:00 PM IST