Fertilisers: मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस (MDA) योजना की मदद से गोबरधन प्लांट्स (Gobardhan Plants) से जैविक उर्वरकों (Organic Fertilizers) का उत्पादन बढ़ेगा और 96 लाख टन केमिकल फर्टिलाइजर्स का आयात कम होगा. भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (IBA) ने यह जानकारी देते हुए कहा कि उर्वरक आयात में कटौती से 11,000 करोड़ रुपये का लाभ होगा.

500 नए बायोगैस प्लांट्स के लिए मिलेगी सहायता

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कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स ने इस साल जून में 1,451 करोड़ रुपये की एमडीए योजना को मंजूरी दी थी. आईबीए ने अपने अध्ययन में कहा कि यह योजना न केवल मौजूदा बायोगैस (Biogas) और कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स को प्रोत्साहन देगी, बल्कि कम से कम 500 नए बायोगैस प्लांट्स के लिए अतिरिक्त सहायता भी प्रदान करेगी.

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उद्योग निकाय ने कहा कि अगर दिए गए एमडीए फंड को बांटा जाता है, तो इससे 9.6 एमएमटीपीए (96 लाख टन प्रतिवर्ष) जैविक उर्वरक तैयार होगा, जिससे केमिकल फर्टिलाइजर्स के आयात में कमी आएगी. 

आईबीए ने अनुमान लगाया है कि एमडीए के माध्यम से रासायनिक उर्वरक के आयात में 96 लाख टन की कमी होगी. इसमें कहा गया है कि एक बायोगैस संयंत्र इनपुट का एक महत्वपूर्ण अंश (लगभग 10 -15%) जैविक उर्वरक के रूप में पैदा करता है जिसे फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (FOM) कहा जाता है.

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ICAR के एक अध्ययन के अनुसार, जब रासायनिक उर्वरकों के साथ उपयोग किया जाता है, तो जैव उर्वरक फसल की पैदावार में 10 से 25% तक सुधार कर सकते हैं और ज्यादातर मामलों में महंगे रासायनिक उर्वरकों (N, P) को लगभग 20 से 25% तक पूरक कर सकते हैं.

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