खाद बनाने वाली प्रमुख सहकारी कंपनी इफको (IFFCO) और कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड (Coromandel International limited) अगले 3 साल तक नैनो डीएपी (Nano DAP) का विनिर्माण करेंगे. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस संबंध में 2 मार्च को अधिसूचना जारी की जा चुकी है. डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) देश में यूरिया के बाद उपयोग किया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक है. मंत्री ने कहा कि इफको ने बताया है कि वे गुजरात की कलोल यूनिट में एक नैनो डीएपी प्लांट स्थापित कर रहा है, जिसकी क्षमता 500 ml की 2 लाख बोतलों का प्रतिदिन उत्पादन करने की होगी. उन्होंने आगे कहा, “व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने के बाद नैनो डीएपी देशभर के बाजारों में उपलब्ध हो जाएगा.”

क्या होता है नैनो डीएपी

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नैनो डीएपी डाई अमोनिया फॉस्फेट का तरल रूप है. इसे अभी तक ये पाउडर-गोलियों के तौर पर पीले रंग की बोरियों में उपलब्ध होता है. ये रसायन खाद पौधों के अंदर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी को पूरा करता है. खाद में 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसजी फॉस्फोरस होता है. इससे पौधों की जड़ के विकास में मदद मिलती है. इससे नाइट्रोजन फिक्सेशन का काम बेहतर ढंग से होता है. ट्रायल के दौरान अलग-अलग फसलों में इसका ट्रायल किया गया था. भारत में DAP की सालाना 10 से 12.5 मिलियन टन खपत होती है. वहीं, भारत में इसका केवल 4 से 5 मिलियन टन उत्पादन होता है, बाकी DAP आयात करना पड़ता है.

केंद्र सरकार ने इसी महीने Nano DAP को दी थी मंजूरी

बताते चलें कि केंद्र सरकार ने इसी महीने की शुरुआत में नैनो DAP को मंजूरी दी थी. केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर्स मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने अपने ट्वीट में नैनो डीएपी की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, ''उर्वरक में आत्मनिर्भरता की तरफ एक ओर बड़ी उपलब्धि! भारत सरकार ने नैनो यूरिया के बाद अब नैनो DAP को भी मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन आत्मनिर्भर भारत के तहत, यह सफलता किसानों को अत्यधिक लाभ देने वाली है. अब एक बैग DAP भी, एक बोतल DAP के रूप में मिलेगा.' आपको बता दें कि यूरिया के बाद डीएपी देश में दूसरी सबसे ज्यादा खपत होने वाली खाद है.