Fisheries: उत्तर प्रदेश के एक शख्स ने मछली पालन (Fish Farming) कर लोगों के सामने मिसाल पेश की है. यह शख्स अपने गांव में मछली पालन के काम से सालाना 2.50 करोड़ रुपये तक का कारोबार कर रहा है. खास बात यह है कि इस शख्स ने 14 वर्ष कॉरपोरेट कंपनियों में नौकरी करने के बाद मछली पालन का बिजनेस शुरू किया है. आइए जानते के उनके सफर के बारे में.

ऐसे हुई सफर की शुरुआत

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रजनीश कुमार उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला के पाटला गांव के रहने वाले हैं. 2004 में बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने 14 साल तक अलग-अलग कॉरपोरेट कंपनियों में काम किया. काम करते हुए उनकी इच्छा अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की थी और फिशरीज सेक्टर के बारे में जानकारी जुटाने की उनकी रुचि थी. व्यापक रिसर्च करने के बाद उन्होंने एक्वाकल्चर इंडस्ट्री (Aquaculture Industry) में कदम रखा.

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उन्होंने कुछ महीनों के लिए अलग-अलग जगहों का दौरा किया और अलग-अलग तकनीकों और अभ्यास (RAS/बायोफ्लोक/इन-पॉन्ड रेसवे सिस्टम (आईपीआरएस)/और केज कल्चर) का अध्ययन करने के लिए कई खेतों का दौरा किया. साथ ही, घरेलू और वैश्विक स्तर पर डिमांड और सप्लाई के अंतर को पहचाना. इस बिजनेस उन्हें काम करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने वर्ष 2017 में अपनी नौकरी छोड़ दी और मछली पालन की दिशा में अपना करियर बनाने की योजना बनाई. 2018 में, उन्होंने अपने पैत्रिक गांव में 12 एकड़ भूमि पर मछली पालन (Fisheries) प्रोजेक्ट शुरू की. उनकी आंत्रप्न्योर बनने का सफर आसान नहीं था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी.

PMMSY योजना का उठाया फायदा

नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत 150 टन उत्पादन क्षमता वाले 2 तालाब बनाए और धीरे-धीरे इंडियन मेजर कार्प (IMC) और पंगेसियस (Pangasius) की खेती के लिए अपने खेत को 50 एकड़ तक बढ़ा दिया.

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सालाना 2.50 करोड़ रुपये का टर्नओवर

मछली पालन से रजनीश को अच्छी कमाई हो रही है. वो सालाना 2.50 करोड़ रुपये का कारोबार कर हैं और सालाना 375 टन मछली का उत्पादन कर रहे हैं. उनका लक्ष्य अपने खेत को 365 एकड़ तक विस्तार करना है ताकि वह रोजाना एक एकड़ मछली का उत्पादन कर सकें और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हर कोने में जिंदा मछली बेचने की सुविधा बनाने के साथ इच्छुक युवाओं को रोजगार प्रदान कर सकें.

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