मछली पालक ध्यान दें, सरकार ने जारी की एडवाइजरी, मार्च महीने में करें ये जरूरी काम
Fish Farming: मछली पालकों के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. अगर आप भी मछली पालन का बिजनेस रते हैं तो तो मार्च से पहले ये काम जरूर कर लें.
Fish Farming: हमारे देश के किसान खेती के साथ-साथ मछली और मधुमक्खी पालन भी करते हैं. किसानों की मदद के लिए राज्य और केन्द्र सरकार की तरफ से कई योजना भी चलाई जा रही है. इसके साथ ही मछली पालन करने वाले किसानों को सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है. पशु एवं मत्स्य संस्थान ने मछली पालक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी पर मछली पालकों को विशेष ध्यान देना चाहिए.
मार्च महीने से पहले मछली पालक जरूर कर लें ये काम- मार्च महीने के पहले सप्ताह में पूर्व संचित मछलियों की निकासी कर नये फसल के लिए तालाब की तैयारी कर लेनी चाहिए.
- मछलियां छोटी हो तो जाल चलाकर मछलियों के स्वास्थ्य / संख्या / आकार आदि की जांच कर लें और नियमित आहार देना प्रारंभ कर दें. तालाब में नियमित रूप से चुने का छिड़काव करें.
- तालाब की तैयारी में जल निकासी और तालाब को सुखाने के उपरान्त, तालाब में पानी भरकर पी०एच० स्तर के अनुसार चूना, गोबर एवं रासायनिक उर्वरक का छिड़काव मत्स्य बीज संचयन से 15 दिन पूर्व करना चाहिए.
- यदि तालाबों की जल निकासी संभव न हो तो खरपतवार निकाल कर अवांछित मछलियों को मारने के लिए महुआ की खल्ली का प्रयोग 2500 किलोग्राम / हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर 15 दिनों के बाद मत्स्य बीज का संचयन करें.
- तालाब में बीज संचय, खाद (कम्पोस्ट) डालने के 7-10 दिनों के बाद की जानी चाहिए.
- खाद डालने क बाद जब पानी का रंग भूरा हरा हो जाये तो यह पानी में प्राकृतिक भोजन की उपस्थिति का संकेत है.
- मत्स्य बीज का संचयन में दिन का गर्म समय को टाल देना चाहिए.
- सुबह 9 बजे के पूर्व संचय करना चाहिए.
- मत्स्य बीज संचयन 8000-10000 फिंगरलिंग / हेक्टेयर की दर से करना चाहिए .
- मत्स्य बीज संचयन का कार्य 15 मार्च से 30 मार्च तक कर लेना चाहिए. पंगेसियस प्रजाति की मछलियों के संचयन का यह आदर्श महीना है.
- 15 ग्राम से 20 ग्राम के अंगुलिकाओं का संचयन 20000 से 25000 प्रति हेक्टेयर के दर से करें.
- मछलियों को मत्स्य आहार नियमित रूप से देना प्रारंभ कर दें.
- मार्च के दूसरे एवं तीसरे सप्ताह से ग्रास कार्प की ब्रिडिंग हेतु प्रजनक मछलियों को अलग-अलग तालाब में रखकर संतुलित भोजन कराना चाहिए.
- मछलियों को बीमारी के संक्रमण से बचाव हेतु प्रतिमाह 400 ग्राम / एकड़ पोटाशियम परमैगनेट या कोई भी वाटर सेनिटाईजर 500 एम0एल0 से 1 लिटर / एकड़ की दर से छिड़काव करें.
- मत्स्य बीज उत्पादक नर्सरी प्रबंधन का कार्य प्रारंभ कर दें और प्रजनक मछली को अलग तालाब में 700-800 कि0ग्रा0/एकड़ की दर से संचयन कर संतुलित भोजन कुल शरीर भार का 1.5-2 प्रतिशत की दर से देना प्रारंभ कर दें.
आसानी से शुरू कर सकते हैं मछली पालन का बिजनेस
अगर आप मछली पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर आप काफी पैसा कमा सकते हैं. सरकार द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सरकारी योजनाएं चलाई जा रही है. अधिक जानकारी के लिए आप सरकार की वेबसाइट https://pmmsy.dof.gov.in/ पर जा सकते हैं. सरकार करती है मछली पालन के लिए लोगों की मदद केंद्र सरकार मछली पालने के लिए कुल लागत का 75 फीसदी तक लोन मुहैया कराती है. मछली पालन है फायदे का सौदा आज मछली पालन कर रोहू, सिल्वर, ग्रास, भाकुर व नैना जैसे मछलियों को 200 से 400 रुपये किलो तक बेच सकते हैं. तालाब में मछली बीज डालने के 25 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है.