Farming Tips: इस विदेशी सब्जी की खेती से होगी बंपर कमाई, जानिए उन्नत किस्में और खेती का तरीका
Farming Tips: भारत में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से पांच सितारा और अन्य होटलों में विदेशी सब्जियों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. किसान विदेशी सब्जियों की खेती को अपनाकर ज्यादा पैसा कमा सकते हैं.
Brussels Sprout Farming: देश में विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ी है. भारत में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से पांच सितारा और अन्य होटलों में विदेशी सब्जियों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अन्य सब्जियों की तुलना में ये अधिक कीमत पर बिकती है. ब्रसेल्स स्प्राउट (Brussels Sprout) भी इनमें से एक है. यह गोभीवर्गीय सब्जी फसल है. इसके छोटे-छोटे शीर्ष बढ़ते हुए तनों के साथ निकलते हैं. ये शीर्ष छोटी बन्दगोभी के समान लगते हैं. यह फसल मध्य व ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के लिए बेहतर है. किसान विदेशी सब्जियों की खेती को अपनाकर ज्यादा पैसा कमा सकते हैं.
साल में दो बार कर सकते हैं खेती
ये सब्जियों ठंडे तापमान में उगाई जाती हैं. पहाड़ी इलाकों में विदेशी सब्जियां उगाने के लिए बेहतर वातावरण है. देश के अन्य हिस्सों में ये सब्जियां सर्दियों में लगाई जाती हैं और इसका उत्पादन दिसंबर-जनवरी तक होता है. पहाड़ी इलाकों में विदेशी सब्जियां साल में दो बार मार्च-जून व जुलाई-अक्टूबर में उगा सकते हैं. मार्च में उगाई गई फसल, ऑफ सीजन होने के कारण किसानों को ज्यादा मुनाफा दे सकती है.
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ब्रसेल्स स्प्राउट की उन्नत किस्में
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यह गोभीवर्गीय सब्जी फसल है. इसके छोटे-छोटे शीर्ष बढ़ते हुए तनों के साथ निकलते हैं. ये शीर्ष छोटी बन्दगोभी के समान लगते हैं. यह फसल मध्य व ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के लिए बेहतर है. इस फल की पहले नर्सरी तैयार की जाती है और 4 से 5 हफ्ते की पौध की रोपाई की जाती है. इसकी उन्नत किस्मों में हिल्ज आइडियल और रुबीने है.
खाद और उर्वरक
आईसीएआर के मुताबिक, खेत को तैयार करने के बाद गोबर की खाद, सुपर फॉस्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा और यूरिया की एक तिहाई मात्रा खेत तैयार करते और बाकी एक महीने बाद खेत में डालना चाहिए. इस फसल की पहले नर्सरी तैयार की जाती है और इसके 4 से 5 हफ्ते के पौधे को तैयार खेत में रोपाई की जाती है.
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Brussels Sprout की खेती का तरीका
फसल की बढ़वार में पहले की अवस्थाओं में कम से कम एक बार खरपतवार की निकासी और निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, इससे मिट्टी ढीली हो जाती है और तनों को पर्याप्त हवा मिल जाती है. इससे खरपतवार नियंत्रित किया जा सकता है. सिंचाई एक हफ्ते के अंतराल पर करनी चाहिए. यह फसल मिट्टी की अम्लीयता के लिए संवेदनशील होती है. इस कारण फसल में कई तरह के विकार आ जाते हैं. इन विकारों को रोकने के लिए चूने का मिलना फायदेमंद होता है.
फसल की कटाई और उपज
स्पाउट जब लगभग 3-4 सेमी की गोलाई के हो जाएं, तब इन्हें तने से निकाल लिया जाता है. इसकी औसत उपज 100 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (8-12 क्विंटल प्रति बीघा) होती है.
01:27 PM IST