प्राकृतिक खेती ने बदली किसान की तकदीर, 10 हजार लगाकर कमा लिए ₹5 लाख, जानें इसके फायदे
Natural Farming: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है. प्राकृतिक खेती से उगाए गए फल, सब्जियों का स्वाद अलग ही है. जो भी एक बार प्राकृतिक फल-सब्जियों का स्वाद चखता है, फिर उसे केमिकल वाली चीजें अच्छी नहीं लगती.
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है. (Photo- HP Agri Dept)
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है. (Photo- HP Agri Dept)
Natural Farming: प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के साथ राज्य सरकार भी भरसक प्रयास कर रही है. प्राकृतिक खेती (Natural Farming) का मूल उद्देश्य कम लागत में ज्यादा उत्पादन के साथ किसानों (Farmers) की आमदनी बढ़ाना है. प्राकृतिक खेती से उगाए गए फल, सब्जियों का स्वाद अलग ही है. जो भी एक बार प्राकृतिक फल-सब्जियों का स्वाद चखता है, फिर उसे केमिकल वाली चीजें अच्छी नहीं लगती.
प्राकृतिक खेती के फायदे को जानने के बाद हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले मंगल सिंह ठाकुर ने इसमें हाथ आजमाया. उनको बचपन से ही खेती-किसानी में मन लगता था. जब बड़े हुए तो जीवनयापन के लिए खेती को चुना. शुरुआत में उन्होंने रासायनिक खेती को अपनाया. लेकिन इसमें मुश्किलें लागत ज्यादा और मुनाफा कम हो रहा था. लेकिन लंबे समय से चली आ रही रासायनिक आधारित खेती को छोड़ने में उन्हें कठिनाई महसूस हो रही थी. नई तकनीक अपनाने में बड़ा जोखिम था. तब कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें प्राकृति खेती खुशहाल योजना के बारे में बताया.
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ट्रेनिंग के बाद शुरू की प्राकृतिक खेती
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प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की ट्रेनिंग लेने के बाद वे घर लौटे और उन्होंने पड़ोसी से देसी गाय का गोबर और गोमूत्र खरीदकर आदान बनाना शुरू किया. इसके बाद अपनी 2 बीघा जमीन पर उन्होंने प्रायोगिक तौर पर प्राकृतिक खेती शुरू की. जब प्राकृतिक खेती से अच्छे नतीजे मिले तो उन्होंने खेती का दायरा बढ़ाकर 10 बीघा कर दिया. इसके बाद राजस्थान से साहीवाल नस्ल की गाय भी ले आए.
फल और सब्जियों की शुरू खेती
उन्होंने प्राकृतिक खेती से अनाज सब्जियों और फल उगाए. रबी सीजन में गेहूं की बंपर पैदावार मिली. बैंगन, भिंडी, लौकी और मटर की फसल को बिलासपुर और सोलन दोनों जिलों में बेचा. उनका कहना है कि एक बार जिसने उनका उत्पाद खरीदा, वो खुद फोन करके ऑर्डर देते हैं.
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उनके मुताबिक, पहले रासायनिक खेती में 40,000 रुपये खर्च कर 3,00,000 रुपये की कमाई होती थी. प्राकृतिक खेती अपनाने के बाद अब 10,000 रुपये लगाकर 5,00,000 रुपये की कमाई होती है. हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने उनकी कहानी प्रकाशित की है.
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02:43 PM IST