Agri Business Idea: अगर आप कम समय खेती से मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आपके लिए ये फसल फायदेमंद होगी.  खरबूजा (Kharbuja) अपनी मिठास के लिए लोकप्रिय है. इसका इस्तेमाल कच्चे में सब्जी और पकने पर फलों के रूप में किया जाता है. यह अन्य फलों की तुलना में सस्ता होता है और इसकी मांग भी बेहतर है. इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश के गर्म और शुष्ख क्षेत्रों में की जाती है. राजस्थान में खरबूज की खेती (Kharbuja ki Kheti) व्यापक रूप से की जाती है. इसकी खेती नदियों के किनारे मुख्य रूप से होती है. खरबूजा (Muskmelon) एक स्वादिष्ट फल है और यह गर्मियों में तरावट देता है. इसके बीजों का इस्तेमाल मिठाई को सजाने में किया जाता है. ये बीज पेट से जुड़ी बीमारियों में फायदेमंद होते हैं. इनमें विटामिन 'सी' और शर्करा की प्रचुर मात्रा होती है.

पेटा काश्त तकनीक से करें खरबूजे की खेती

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आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पेटा काश्त में संरक्षित जल की सीमित उपलब्धता और उच्च मृदा उर्वरता के कारण खरबूजा फसल में किसी भी प्रकार के उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इससे खरबूजे (Kharbuja) की प्राकृतिक खुशबू व स्वाद बना रहता है. यह तेज गर्मी में लोगों को अपनी मिठास से ताजगी का अहसास करवाता है. यही कारण है कि लोग पेटा काश्त के खरबूज को आम खरबूजे से अलग और अधिक महत्व देते हैं. पेटा काश्त का खरबूजा अपनी इसी खूबी के कारण मंडी में हाथों-हाथ बिक जाता है.

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खरबूजा बाड़ी लगाने का तरीका

बांध में जैसे ही पानी सूख जाता है या बांध खाली हो जाता है किसान अपने खेत में उपलब्ध नमी के आधार पर जनवरी के अंतिम हफ्ते में बुवाई करना शुरू करता है. कुदाली से 10-15 सेमी आकार के गड्ढे बनाए जाते हैं, जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 4 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1-1.25 फीट रखी जाती है. पेटा काश्त में लाइन दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाए जाते हैं. गर्मियों में इस दिशा से तेज हवाएं चलती हैं, जो मिट्टी और नमी का क्षरण करती हैं. इस क्षरण को रोकने के लिए दो लाइनों के बीच स्थानीय वनस्पति सूखी सिणिया और खींप की एक वायु गतिरोधक लाइन इस प्रकार खड़ी की जाती है ताकि तेज हवा नमी को न उड़ा ले जाए.

खरबूजा के इस किस्म की बुवाई फायदेमंद

खरबूजा बाड़ी सबसे ज्यादा 'कजरी' किस्म का बीज बोया जाता है. इसका बीज अनेक कंपनियां और किसान खुद संग्रहित करके रखते हैं. कजरी किस्म का खरबूजा गहरे हरे से लेकर हल्के भूरे रंग का होता है और इस पर काली सफेद धारियां होती है. औसतन एक फल का वजन 500 ग्राम से 1 किग्रा तक होता है. कम वजन और छोटे आकार की वजह से फल ज्यादा समय तक ताजे रहते हैं.

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ऐसे करें बीज की बुवाई

बुवाई से पहले बीजों को ठंडे पानी से धोते हैं. फिर बोरी में 300-500 ग्राम बीज की पोटली बनाते हैं. इस पोटली को गुनगने पानी के छींटे डालते हैं. फिर इस पोटली को जहां अनाज भंडार करते हैं, उस खाली कोठे में या घर में छाया में रखकर 3-4 बोरियां डालते हैं, तारिक गर्मी से बीज अंकुरित हो जाएं. इसके बाद पोटली से बीज बाहर निकालकर ठंडे पानी के छींटे मारकर मटकी में डाल देते हैं. मटकी में डाले बीजों की समय पर बुवाई करते हैं.

तीन महीने में लाखों की कमाई

फसल में दो महीने बाद यानी मई के आसपास फूल आने लगते हैं. बुवाई से ढाई से तीन महीने बाद खरबूजे मंडी में बेचने लायक हो जाते हैं. फरवरी-मार्च में लगाई हुई खरबूजा बाड़ी से जून तक कमाई होती रहती है. आईसीएआर के मुताबिक, खरबूजा बाड़ी लगाने वाले किसान इससे लगभग 2 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमा सकते हैं.