सरकार ने ऋण शोधन प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी की ओर से रखे जाने वाले संशोधित प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी. कुछ दिन पहले ही जेपी इंफ्रा के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की बोली को इस प्रकार की मंजूरी न होने के चलते खारिज कर दिया था. एनबीसीसी ने बंबई शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों ने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर उसकी संशोधित पेशकश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

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अब यह देखना है कि जेपी इंफ्राटेक के लिए नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर अनुज जैन एनबीसीसी को बोली प्रक्रिया में फिर भाग लेने की छूट देते हैं या नहीं क्योंकि इस मामले में दूसरी कंपनी सुरक्षा रीयल्टी की ओर से पेश समाधान योजना पर बैंकों की समिति में 30 अप्रैल को ही मतदान शुरू हो चुका है.

सूचना के अनुसार आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने व्यय विभाग, नीति आयोग तथा निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) से सहमति / परामर्श के साथ एनबीसीसी द्वारा जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की मंजूरी के बारे में जानकारी दी है.

इससे पहले, सूत्रों ने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की निर्माण कंपनी को व्यय विभाग तथा निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग से संशोधित पेशकश की मंजूरी मिल गयी है.

कर्जदाताओं की समिति की 26 अप्रैल को हुई बैठक में एनबीसीसी की जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर संशोधित बोली पर विचार नहीं करने का फैसला किया था. इसका कारण यह था कि सरकारी क्षेत्र की कंपनी ने साथ में यह भी कह रखा था कि वह विभिन्न सरकारी प्राधिकरणों से मंजूरी के बाद ही अपने प्रस्ताव पर काम कर सकेगी.

एनबीसीसी ने बैठक में सभी जरूरी मंजूरी हासिल करने को लेकर कुछ समय की मांग की थी. हालांकि कर्जदाताओं ने केवल सुरक्षा रीयल्टी की अगुवाई वाले समूह की पेशकश पर ही वोट कराने का फैसला किया. 

इस बीच, वित्तीय कर्जदाताओं तथा घर खरीदार सुरक्षा रीयल्टी की बोली पर फिलहाल मतदान कर रहे हैं. वोट प्रक्रिया मंगलवार 30 अप्रैल को शुरू हुई और तीन मई को पूरी होगी.

सीओसी द्वारा बोली को खारिज किये जाने के बाद एनबीसीसी ने जेपी इंफ्राटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर जैन को पत्र लिखकर कहा कि कंपनी की जेपी समूह की इकाई के अधिग्रहण में रूचि है. कंपनी ने मांग की कि संशोधित पेशकश को गुण के आधार पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें वित्तीय कर्जदाताओं तथा घर खरीदारों के हितों की रक्षा करता है. कंपनी ने पत्र में लिखा है, ‘‘एनबीसीसी की समाधान प्रक्रिया में रूचि है और मकान खरीदारों के हितों को प्राथमिकता दी है.’’