इंडियन ऑयल, GAIL, ONGC सहित इन तेल और गैस कंपनियों पर लगा जुर्माना; सोमवार को स्टॉक पर रहेगी नजर
IOC, HPCL, BPCL, ONGC, OIL और मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) पर कुल मिलाकर 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
इंडियन ऑयल, ओएनजीसी और गेल (India) लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कई तेल एवं गैस कंपनियों पर सूचीबद्धता अनिवार्यता को पूरा करने के लिए निदेशक मंडल में जरूरी संख्या में निदेशकों की नियुक्ति में विफल रहने को लेकर लगातार चौथी तिमाही में जुर्माना लगाया गया है.
इन कंपनियों पर लगा ₹34 लाख का जुर्माना
शेयर बाजारों ने जनवरी-मार्च तिमाही में सूचीबद्धता अनिवार्यता को पूरा नहीं करने पर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC), ऑयल इंडिया लि. (OIL) और मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) पर कुल मिलाकर 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. शेयर बाजारों से यह जानकारी मिली है.
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में दी जानकारी
इन कंपनियों ने अलग से दी सूचना में BSE और एनएसई द्वारा उनपर लगाए गए जुर्माने की जानकारी दी है. यह जुर्माना इनपर 31 मार्च, 2024 तक अपने निदेशक मंडल में जरूरी संख्या में स्वतंत्र निदेशकों या महिला निदेशकों की नियुक्ति नहीं करने के लिए लगाया गया है.
हालांकि, इन कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि निदेशकों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है और इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है. इन कंपनियों पर पिछली तीन तिमाहियों में भी इसी कारण से जुर्माना लगाया गया था.
किस पर लगा कितना जुर्माना
आईओसी, एचपीसीएल, बीपीसीएल, गेल, ओआईएल और एमआरपीएल ने अलग-अलग भेजी सूचना में कहा है कि उनपर 5,36,900 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
ओएनजीसी पर 1,82,900 रुपये का जुर्माना लगा है. सूचीबद्धता मानदंडों के अनुसार, कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या भी कार्यकारी निदेशकों के अनुपात में होनी चाहिए. इसके अलावा उनके बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक होनी चाहिए. ओएनजीसी ने कहा कि उसके बोर्ड में एक स्वतंत्र निदेशक की कमी कारण उसपर जुर्माना लगाया गया है.
आईओसी ने कहा, निदेशकों (स्वतंत्र निदेशकों सहित) की नियुक्त करने का अधिकार भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पास है. ऐसे में निदेशक मंडल में महिला निदेशक या स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति सरकार को करनी होती है. वह इस चूक के लिए जिम्मेदार नहीं है और उसपर से जुर्माना हटाया जाना चाहिए. अन्य कंपनियों ने भी कुछ इसी तरह की दलीलें दी हैं.