प्याज और टमाटर की महंगाई से लोग अभी जूझ ही रहे हैं कि इस बीच लहसुन ने भी रुलाना शुरू कर दिया है. लहसुन की कीमत दिल्ली की खुदरा दुकानों में 300 रुपये किलो तक हो गई है. यह तब है जब बीते दो सप्ताह से इसके थोक भाव में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. रिटेल में लहुसन 250-300 रुपये प्रति किलो मिलने लगा है, जो दो सप्ताह पहले 150-200 रुपये प्रति किलो था. 

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देश में इस साल लहसुन की पैदावार पिछले साल से 76 प्रतिशत अधिक हुई है, इसके बावजूद इसके दाम सातवें आसमान पर हैं. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, देश की प्रमुख लहसुन मंडी मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर और राजस्थान के कोटा के कारोबारियों का कहना है कि बारिश से स्टॉक में रखा लहुसन खराब हो गया. इससे सप्लाई में कमी आ गई और कीमतों में इजाफा हुआ. 

कारोबारियों का कहना है कि इस वक्त लहसुन की आवक काफी कम हो गई है. मध्य प्रदेश के नीमच में इस समय लहसुन की आवक 4,000-5,000 बोरी (एक बोरी में 50 किलो) है, जबकि पीक आवक के सीजन के दौरान नीमच में लहसुन की आवक 20,000 बोरी से ज्यादा रहती है.

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कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में 28.36 लाख टन लहसुन का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल 16.11 लाख टन था. इस प्रकार, पिछले साल के मुकाबले इस साल लहसुन का उत्पादन 76 फीसदी अधिक है. भारत लहसुन के प्रमुख उत्पादक देशों में है, जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है.