सरकार ने सोमवार को कहा कि वह CMPDIL के मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्प लिमिटेड (MECL) के साथ विलय पर विचार कर रही है. सरकार ने जोर देकर कहा कि यह कोल इंडिया (Coal India) की सहायक कंपनी बनी रहेगी. यह बयान तब आया, जब कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार कोल इंडिया की ब्रांच CMPDIL को MECL के साथ मर्ज करने के प्रस्ताव पर आगे बढ़ रही है.

मिनिस्ट्री कर रहा विलय पर विचार

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कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "CMPDIL (सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड) कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) की एक सहायक कंपनी है जो मुख्य रूप से कोयला क्षेत्र को अन्वेषण और परामर्श सेवाएं प्रदान करती है. अन्य खनिजों में अपने व्यापार विस्तार की गुंजाइश को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इसे मजबूत करने की योजना बनाई है, जिसके लिए CMPDIL को MECL में विलय करने पर विचार किया जा रहा है."

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विलय से होगा फायदा

MECL के पास गैर-कोयला खनिज अन्वेषण और परामर्श में डोमेन विशेषज्ञता है. जिसके चलते इस विलय से कोयला और गैर-कोयला क्षेत्र के लिए जरूरी एक्सपर्टीज के साथ एक इंटीग्रेटेड अन्वेषण और परामर्श संगठन के निर्माण से विकास और मूल्यवर्धन होगा.

CMPDIL बनी रहेगी कोल इंडिया की सहायक कंपनी

मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा कि इस विलय के बाद भी CMPDIL कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी बनी रहेगी. CMPDIL कोल इंडिया की योजना और डिजाइन शाखा है.

इस विलय के मद्देनजर माइनिंग मिनिस्ट्री ने MECL और CMPDIL के सीएडी को पत्र लिखकर लाभ, टर्नओवर, मौजूदा ऑर्डर बुक और विलय की तैयारी में कंपनियों की जनशक्ति की वर्तमान स्थिति जैसे विवरण मांगे हैं. 

विलय को लेकर हैं ये चिंता

कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को लिखे पत्र में, ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कोल एक्जीक्यूटिव्स (AIACE) के प्रधान महासचिव पी के सिंह राठौर ने पहले इस कदम का स्वागत किया था, लेकिन विलय कैसे होगा, इस पर चिंता व्यक्त की थी.

सीएमपीडीआईएल को कोल इंडिया (Coal India) से अलग करने के प्रस्ताव पर, राठौड़ ने पहले कहा था, "कर्मचारियों और अधिकारियों के समायोजन के संबंध में एक बड़ी समस्या होगी क्योंकि दोनों संगठनों की वेतन संरचना अलग-अलग है."