CIPLA Q4 Results: देश की दिग्गज फार्मा कंपनी सिप्ला ने मार्च तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी को चौथी तिमाही में 526 करोड़ रुपए का तगड़ा मुनाफा हुआ है, जोकि सालभर पहले की समानत तिमाही में 362.1 करोड़ रुपए था. यानी कंपनी के मुनाफा में सालाना आधार पर 45 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. नतीजों के साथ कंपनी ने डिविडेंड को भी मंजूरी दी है. 

बंपर डिविडेंड को मिली मंजूरी

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एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक सिप्ला के बोर्ड ने रुपए के फेस वैल्यू पर 8.5 रुपए प्रति शेयर के डिविडेंड को मंजूरी दी है. यानी निवेशकों को प्रति शेयर 425 फीसदी का बंपर मुनाफा होगा. इसके साथ ही जनवरी से मार्च की अवधि में कंपनी की कुल आय 5739.3 करोड़ रुपए रही, जोकि सालभर पहले की समान तिमाही में 5620.3 करोड़ रुपए थी. कामकाजी मुनाफा भी 1173 करोड़ रुपए रहा. 

Q4 में टैक्स खर्च भी बढ़ा 

कंपनी ने बताया कि मार्च तिमाही में मार्जिम 20.5 फीसदी रही, जोकि पिछले साल की समान तिमाही में 14.3 फीसद रही थी. कंपनी का एकमुश्त घाटा 182.4 करोड़ रुपए रहा. साथ ही टैक्स खर्च 222 करोड़ रुपए रहा, जोकि सालभर पहले 71 करोड़ रुपए थी.

डिविडेंड क्या होता है?

डिविडेंड एक तरह का भुगतान है, जो कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को करती है. जब आप डिविडेंड का पेमेंट करने वाले शेयरों के ओनर होते हैं, तब आपको कंपनी के मुनाफे के एक हिस्से का पेमेंट किया जाता है. जो आपको इनकम अर्न करने में मदद कर सकता है. डिविडेंड को भुगतान करने वाली कंपनी के शेयरहोल्डर्स तब तक एलिजिबल होते हैं, जब तक डिविडेंड प्री-डेट से पहले उनके पास होता है.

डिविडेंड का पमेंट कंपनी की रिटेन्ड अर्निंग से भी किया जा सकता है. जो सालों से जमा किए गए प्रॅाफिट का एक प्रकार का सेविंग अकाउंट है. कंपनियां स्टॉक में डिविडेंड का पेमेंट भी कर सकती हैं. जिसका मतलब है कि वे कैश के बजाय इक्विटी शेयर देती हैं. डिविडेंड को देने या न देने का फैसला खुद कंपनी का होता है. कंपनी के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॅाक्स कहते हैं. 

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