कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स पॉलिसी के अभी हाल ही में जारी ड्राफ्ट पर सभी हितधारकों के विचारों को आमंत्रित करने के लिए नई दिल्ली में एक विशाल सम्मेलन का आयोजन किया. कैट जो इस सबसे प्रतीक्षित नीति को जारी करने पर लगातार जोर दे रहा है, ने इस सम्मलन में शिरकत कर रहे सभी प्रतिभागियों से सुझाव आमंत्रित किया और इन एकत्रित सुझावों को 9 मार्च से पहले वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आंतरिक व्यापार विभाग को भेजा जाएगा.

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भारत में रिटेल ट्रेड का भविष्य बेहद आशाजनक है

सीईओ, नीती आयोग अमिताभ कांत ने इस मौके पर व्यापारियों को संबोधित किया. उन्होंने ई-कॉमर्स नीति के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की और प्रतिभागियों से उनके विचार और प्रतिक्रिया जानने के उद्देश्य से व्यापक चर्चा की. इस अवसर पर उन्होंने कहा, “भारत में रिटेल ट्रेड का भविष्य बेहद आशाजनक है और यह तेजी से आगे बढ़ रहा है. हालाँकि, भारत जैसे विविध और विकासशील देश में व्यापारिक समुदाय की प्रगति के लिए डिजिटलीकरण ही एकमात्र जरिया है और इस वजह से भारतीय रिटेल ट्रेड एवं रिटेलरों को भी पूरी तरह से डिजिटल अपना लेना चाहिए.”

व्यापारियों के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण जरूरी

उन्होंने कहा कि भारत का रिटेल ट्रेड आने वाले वर्षों में विस्तार को अग्रसर है और इसलिए व्यापारियों के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण को अपनाना बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा, "जहाँ तक ई कॉमर्स की बात है तो यह एक क्रांति है और कोई भी खुद को जमीनी हकीकत से अलग नहीं कर सकता. पूरे देश में यहां तक कि सड़कों एवं हर क्षेत्र में व्यापारियों का व्यापक नेटवर्क है और उन्हें कोई हरा नहीं सकता. हालाँकि, बदलते परिदृश्य में, सरकार व्यापारियों के हितों की रक्षा करेगी और दूसरी तरफ बड़े खिलाड़ियों और छोटे व्यापारियों के बीच सह-अस्तित्व के सिद्धांत को सुनिश्चित करने और समन्वय स्थापित करने के लिए भी बेहतरीन प्रयास करेगी.”

नई ई-कॉमर्स नीति पर विचार रखे

नई ई-कॉमर्स नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एवं अपनी आशंकाओं को साझा करते हुए, कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “हम पूरी तरह से इस नई ई-कॉमर्स नीति का स्वागत करते हैं लेकिन इसमें सभी हितधारकों की चिंताओं का समाधान होना चाहिए. भले ही यह नीति व्यापक दिखती है, लेकिन इसने घरेलू ई-कॉमर्स प्लेयर्स द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला के समाधान प्रदान नहीं किए गए हैं. साथ ही इस सेगमेंट में मौजूद स्वदेशी प्लेयर्स को विकास और विस्तार का अवसर प्रदान करने में यह नीति मददगार साबित होनी चाहिए, तभी भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में एक वैश्विक हब बनाने की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है. इतना ही नहीं हम इस नीति में कुछ तात्कालिक बदलावों की मांग करते हैं जैसे कि डिजिटल भुगतान के लिए सिर्फ भीम और यूपीआई ही नहीं बल्कि डिजिटल भुगतान के सभी प्लेयर्स को शामिल करना और साथ ही ई कॉमर्स के लिए एक नियामक प्राधिकरण स्थापित किया जाना चाहिए. इसके अलावा ई कॉमर्स में सीओडी को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और साथ ही डोमेस्टिक प्लेयर्स को भी इन नीति के दायरे में लाया जाना चाहिए.”