सरकार ने कंपनियों के महत्वपूर्ण लाभार्थी मालिकाना नियमों में संशोधन किये हैं. यह देश से बाहर से कंपनियों को संचालित करने वाले निकायों की पहचान में मदद करने के लिये किया गया है. इसके तहत अधिक स्पष्ट नियामकीय रूपरेखा तय की गयी है. एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम 2013 के महत्वपूर्ण लाभार्थी नियमों में बदलाव की अधिसूचना जारी की है.

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इसमें कंपनियों में महत्वपूर्ण लाभार्थी मालिकाना हिस्सेदारी रखने वाले निकायों की पहचान करने के लिये अधिक स्पष्ट परिभाषा दी गयी है. इसके अलावा कंपनियों को अब मंत्रालय को अधिक विस्तार से जानकारियां देनी होंगी. मंत्रालय ने सबसे पहले जून 2018 में महत्वपूर्ण लाभार्थी मालिकों से संबंधित नियम जारी किये थे.

अधिकारी ने कहा कि संशोधित नियम स्पष्ट, सटीक हैं तथा इनमें हर उस तरह का नियंत्रण है जो किसी कंपनी को हड़पे जाने के मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है. उसने कहा, ‘‘आनुपातिक गणना के सारे सिद्धांत हटा दिये गये हैं. यह इस बारे में एकदम स्पष्ट है कि विभिन्न परिस्थितियों में महत्वपूर्ण लाभार्थी मालिकों की पहचान कैसे होगी, ये नियम कॉरपोरेट आवरण को हटा देने के लिये हैं.’’

अधिकारी ने कहा कि ये बदलाव उन कंपनियों पर कार्रवाई को ध्यान में रखते हुए भी किये गये हैं जिन्हें कहीं और से ऐसी कंपनियों या निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित किया जा रहा है जो अभी रडार में नहीं हैं. उसने कहा, ‘‘यदि ऐसा है कि कोई कंपनी बाहर से नियंत्रित हो रही है, हम उनकी पहचान करना चाहेंगे. देश के भीतर भी प्रत्येक कंपनी का यह दायित्व है कि वे महत्वपूर्ण लाभार्थी मालिकों की पहचान करें.’’