BYJU'S का घाटा बढ़कर 4,588 करोड़ रुपये हो गया है. यही नहीं कंपनी ने FY21 के लिए अपना रेवेन्यू 2428 करोड़ रुपए दर्ज किया है, जो FY20 के मुकाबले 14% कम है. पिछले दिनों ने कंपनी ने दुनियाभर की एड टेक कंपनियों का अधिग्रहण यूं किया जैसे बच्चे खोखे से टॉफी खरीद रहे हों. देश की सबसे 'वैल्युएबल' कही जाने वाली इस कंपनी पर दुनियाभर के इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने दना दना पैसा डाला और अब कंपनी पर इन्वेस्टर्स के पैसों के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं. बायजू की ऑनलाइन क्लासेस की क्वालिटी, कस्टमर सैटिस्फैक्शन हमेशा सवालों के घेरे में रहा. विवादास्पद सेल्स प्रैक्टिस की बात हो या बड़े पैमाने पर छंटनी, कंपनी की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्हों की बरसात अभी तक नहीं थमी है. यहां तक की FY21 रिजल्ट फाइल करने में देरी को लेकर सरकार की डांट खाकर किरकिरी हुई सो अलग. IPO की तैयारी कर रही इस कंपनी के इस 'घाटा प्रकरण' का सारांश कुछ सवालों के रूप में उभरता है.

BYJU'S के घाटे से उठते सवाल

  • क्या दुनिया में आइडिया के नाम पर पैसा फूंकने के लिए इन्वेस्टर्स के पास अथाह पैसा है?
  • ऑनलाइन ही भविष्य है! क्या ये वाक्य मनगढंत अवधारणा या भ्रम साबित हो रहा है?
  • क्या IPO की तैयारी संस्थागत निवेशकों के डूब रहे पैसे रिटेल इन्वेस्टर्स पर पासऑन करने की प्रक्रिया का हिस्सा है?
  • बायजू पर उठे इतने सवालों के बावजूद पिछले सबसे ज्यादा उथल पुथल वाले 6 महीने में एक भी निवेशक ने कंपनी पर भरोसा और निवेश कम नहीं किया, क्या कंपनी वाकई भविष्य में अपनी सफलता से सबको चौंकाने वाली है?

अन्य एडटेक यूनिकॉर्न को भी हो रहा घाटा

वैसे बायजू ही नहीं, एडटेक यूनिकॉर्न Unacademy ने भी FY21 के लिए 1474 करोड़ का घाटा दर्ज किया था. धारणा ये बन रही है कि ऑनलाइन एजुकेशन या एडटेक का समूचा विचार ही आशंकाओं की धुंध में खो रहा है. हालांकि कुछ लोग इसे 'बड़ा घाटा, बड़ा वैल्युएशन और उतना ही बड़ा प्रचार' पाने का एक तरीका भी मान रहे हैं. कारण जो भी हो इन दिग्गज स्टार्टअप्स के घाटे के बोझ से घुटनों पर आना ये बता रहा है ऑफलाइन शिक्षा का कोई मुकाबला नहीं है.