कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी (KIE) ने कहा है कि सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) का कुल घाटा दिसंबर अंत तक बढ़कर 90000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और अब समय आ गया है कि सरकार बीएसएनएल के बारे में गंभीरता से विचार करे कि क्या इसमें और पैसा लगाना है या घाटे से बचने के लिए इसे बंद करना है. कोटक ने कहा है कि रिलायंस जियो के ब्राडबैंड क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ ही बीएसएनएल का वायरलेस बिजनेस प्रभावित होगा. कोटक के मुताबिक बीएसएनएल का अंत तय है, बस ऐसा कब होता है ये देखने की बात है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि लो ट्रैफिक के चलते पूरी इंडस्ट्री की हालत बहुत नाजुक है और ऐसा ही चलता रहा तो आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी के बहुत अच्छे नतीजे नहीं आने वाले हैं. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर कीमतों नहीं बढ़ी तो इस सेक्टर की हालत आगे और खराब हो सकती है.

कोटक की रिपोर्क में कहा गया है, 'हमारा मानना है कि इस सेक्टर में भारी मुनाफे के दिन अब खत्म हो गए हैं. भारी प्रतिस्पर्धा और स्मार्ट स्पेक्ट्रम नीलामी डिजाइन के चलते मुनाफा कमाना अब बीते दशक की बात हो गई है.'  रिपोर्क के मुताबिक, 'हमे लगता है कि अगले कुछ वर्षों में ब्लॉक बस्टर स्पेक्ट्रम नीलामी की संभावना बहुत कम है.'

सरकारी क्षेत्र की बीएसएनएल इस समय संकट से गुजर रही है और कंपनी फरवरी में अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकी है. हालांकि कंपनी ने दावा किया है कि एक-दो दिन में वेतन जारी कर दिया जाएगा. रिपोर्ट में कहा है कि अगर हालत नहीं सुधरे तो सरकार को इसका बोझ उठाना होगा.