अकूत संपत्ति होने के बाद भी संकट से क्यों जूझ रहीं BSNL-MTNL? कैसे दूर होगा कैश क्रंच
नकदी संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी BSNL और MTNL को दोबारा पटरी पर लाने का रास्ता निकलता दिख रहा है.
नकदी संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी BSNL और MTNL को दोबारा पटरी पर लाने का रास्ता निकलता दिख रहा है. अगर उसे दूरसंचार विभाग की मंजूरी मिल जाती है तो दोनों कंपनियां अपने एसेट बेचकर फंड की व्यवस्था कर सकती हैं. एक मीडिया रपट में ऐसी संभावना जताई गई है.
जमीन बेचकर जुटा सकती है फंड
लाइव मिंट की खबर के मुताबिक BSNL के पास मार्च 2018 तक 70 हजार करोड़ रुपए की जमीन और 3760 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की इमारतें मौजूद हैं. इस परिसंपत्ति में फाइबर, टॉवर लगाए गए हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी होने के कारण इन्हें कई तरह की रियायतें भी हैं.
रिवाइवल प्लान पर हो रहा विचार
दूरसंचार विभाग ने अब तक दोनों कंपनियों के रिवाइवल प्लान को मंजूरी नहीं दी है. IIM अहमदाबाद BSNL के लिए रिवाइवल प्लान तैयार कर रहा है. बीएसएनएल के 1.76 लाख कर्मचारी हैं जबकि MTNL के 22 हजार. एक अधिकारी ने कहा कि 5 से 6 साल में MTNL के 16 हजार कर्मचारी और BSNL के 75 हजार कर्मचारी रिटायर हो सकते हैं. BSNL का मार्केट शेयर सितंबर 2018 में बढ़कर 12.64 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
कई कंपनियों के पास फंसा पैसा
उधर, BSNL का काफी धन कई कंपनियों के पास फंसा है. इसमें अकेले रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) से 700 करोड़ रुपये बकाया है. इसके लिए कंपनी राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रही है.
सैलरी देने के लाले
BSNL को पहली बार अपने कर्मचारियों को सैलरी देने में लाले पड़े. फरवरी की सैलरी में देरी पर सरकार को मदद करनी पड़ी. MTNL का भी यही हाल रहा.